आम लोगों को झटका, 6 हफ्तों में 18 रुपये महंगी हुई उड़द और अरहर की दाल 

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 10, 2022, 10:55 AM IST

लातूर में अच्छी गुणवत्ता वाली अरहर की दाल की एक्स-मिल कीमत (Arhar Dal Ex-Mill Price) करीब छह हफ्ते पहले 97 रुपये से बढ़कर 115 रुपये किलो हो गई है. एग्रीकल्चर मिनिस्ट्री (Agriculture Ministry) के आंकड़ों के अनुसार एक साल पहले की तुलना में अरहर का रकबा 4.6 फीसदी और उड़द का रकबा 2 फीसदी कम देखने को मिला है. 

डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र के लातूर में खाद्य गुणवत्ता वाली अरहर दाल की कीमत (Arhar Dal Price) 97 रुपये से 115 रुपये तक बढ़ गई है. पिछले छह हफ्तों में उड़द और अरहर की कीमतों में 15 इजाफा (Arhar and Urad Dal Price Hike) देखने को मिला है. जिससे फसल के नुकसान की चिंता बढ़ रही है, मौजूदा खरीफ सीजन में रकबे में भी मामूली गिरावट देखने को मिली है. इससे कम कैरी फॉरवर्ड स्टॉक के साथ दोनों दालों की कीमतों में तेजी आई है. लातूर में अच्छी गुणवत्ता वाली अरहर की दाल की एक्स-मिल कीमत (Arhar Dal Ex-Mill Price) करीब छह हफ्ते पहले 97 रुपये से बढ़कर 115 रुपये किलो हो गई है. एग्रीकल्चर मिनिस्ट्री (Agriculture Ministry) के आंकड़ों के अनुसार एक साल पहले की तुलना में अरहर का रकबा 4.6 फीसदी और उड़द का रकबा 2 फीसदी कम देखने को मिला है. 

लगातार बारिश से नुकसान की आशंका 
महत्वपूर्ण बात यह है कि अरहर उगाने वाले क्षेत्रों में लगातार बारिश और पानी जमा होने के कारण फसल के नुकसान के बारे में चिंता जताई है. महाराष्ट्र में दालों के आयातक हर्षा राय ने मीडिया रिपोर्ट में कहा है कि वर्तमान में, तुअर में फंडामेंटल मजबूत हैं. कोई बड़ा कैरी ओवर स्टॉक नहीं है, जबकि सोयाबीन की ओर किसानों के रुझान के कारण अरहर की बुवाई कम हो गई है. उन्होंने कहा कि वे अफ्रीका से 5,00,000 टन की खेप की उम्मीद कर रहे हैं, जो अगस्त/सितंबर तक आएगी. भारी बारिश से उड़द की फसल को अधिक नुकसान होने की आशंका है, हालांकि आपूर्ति की स्थिति दबाव में नहीं आ सकती है क्योंकि आयात बढऩे की उम्मीद है.

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यूपी/एमपी स्थिति बेहतर 
4 पी इंटरनेशनल के मैनेजिंग डायरेक्टर बी कृष्णमूर्ति ने कहा कि हालांकि महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में उड़द की फसल को कुछ नुकसान हुआ है, लेकिन सबसे बड़े और दूसरे सबसे बड़े उत्पादक मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में फसल की स्थिति काफी अच्छी है. उनका मानना ​​है कि बारिश के नुकसान के बावजूद, उड़द की कीमतें कम रहने की संभावना है क्योंकि म्यांमार से आयात बढऩे की उम्मीद है. कृष्णमूर्ति ने कहा कि भारत को पिछले चार महीनों के दौरान म्यांमार से उनके करेंसी इश्यू के कारण ज्यादा उड़द नहीं मिली, जिससे मासिक उड़द आयात 50 फीसदी से अधिक कम हो गया.

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म्यांमार से उड़द इंपोर्ट करने में मिलेगी मदद 
अब करेंसी इश्यू म्यांमार के निर्यातकों के लिए अनुकूल हो गया है, जिससे हमें म्यांमार से अधिक उड़द इंपोर्ट करने में मदद मिलेगी. जहां अरहर और उड़द की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, वहीं मसूर की कीमतों पर कंज्यूमर को थोड़ी राहत मिली है, जो एक साल से अधिक रही. इपोर्टिड साबुत मसूर की कीमत 29 जून को 71.50 रुपये प्रति किलोग्राम से 8 अगस्त को घटकर 67 रुपये हो गई है.

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