डीएनए हिंदी: भले ही भले ही भारत का शेयर बाजार (Indian Share Market) का प्रदर्शन वित्त वर्ष की पहली तिमाही में साल 2019-20 चौथी तिमाही के बाद सबसे खराब रहा हो, लेकिन अमेरिकी शेयर बाजार (US Stock Market) के खराब प्रदर्शन ने पांच दशकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. साल 1970 के बाद पहली बार साल के पहले हाफ में अमेरिकी बाजारों का सबसे खराब प्रदर्शन देखने को मिला है. 1970 के उस ऐरा हो निक्सन के नाम से जाना जाता है, जब अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन थे. अमेरिकी एसएंडपी 500 (S&P 500) का प्रदर्शन साल के पहले 6 महीनों में साल 1970 के बाद के बाद सबसे खराब देखने को मिला है. इसका कारण बढ़ती महंगाई और उसके बाद केंद्रीय बैंकों की ओर ब्याज दरों में बढ़ोतरी को माना जा रहा है.
डाउ जोंस से लेकर नैस्डैक तक सभी में गिरावट
फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने बुधवार को अमेरिकी अर्थव्यवस्था को महंगाई के गड्डे में ना गिरने देने की कसम खाई है, भले ही ब्याज दरों को उस लेवल तक क्यों ना बढ़ाना पड़े जिसकी वजह से इकोनॉमिक ग्रोथ को नुकसान ही क्यों ना पहुंच जाए. नैस्डैक कंपोजिट ने पहली छमाही में इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट देखी है. जबकि डॉओ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज भी बड़ी गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है. साल 2015 के बाद अमेरिका के तीनों प्रमुख सूचकांकों में लगातार दूसरी तिमाही में गिरावट देखने को मिली है.
फिर बढ़ सकती है फेड की दरें
हाल के दिनों में फेड नीति निर्माताओं ने जुलाई में दूसरी बार 75 आधार अंकों की ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद की है, जबकि आर्थिक आंकड़ें अमेरिकी कंज्यूमर्स की एक निराशाजनक तस्वीर पेश कर रहे हैं. Microsoft Corp, Apple Inc, Amazon.com Inc और Tesla Inc सहित लार्ज-कैप ग्रोथ स्टॉक 2.6 फीसदी से लेकर 5.2 फीसदी के बीच की गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं.
अमेरिकी बाजारों में गिरावट
अमेरिकी समय के अनुसार सुबह 10 बजकर 22 मिनट पर डॉओ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 527.89 अंक या 1.70 फीसदी की गिरावट के साथ 30,501.42 पर कारोबार कर रहा था, जबकि एसएंडपी 500 73.94 अंक या 1.94 फीसदी की गिरावट के साथ 3,744.89 पर था, और नैस्डैक कंपोजिट 304.66 अंक या 2.73 फीसदी अंकों के साथ 10,873.23 अंकों पर कारोबार कर रहा था.
Share Market : भारी रहा जून का महीना, निवेशकों के 13 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा डूबे
शेयर बाजारों के लिए मुफीद रहा है डेमोक्रेट्स के दौर
खास बात तो ये है कि 1945 के बाद जब जब भी डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता ने अमेरिका की सत्ता संभाली है, तब—तब अमेरिकी शेयर बाजारों में तेजी देखने को मिली है. पांच साल के कार्यकाल में बिल क्लिंटन के समय एसएंडपी 500 ने 200 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया, जबकि बराक ओबामा के कार्यकाल में 180 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखने को मिली थी. डेमोक्रेटिक प्रेसीडेंट में जॉन एफ केनेडी ही ऐसे थे जिनके कार्यकाल में मात्र 16 फीसदी का ही रिटर्न आयाख्, लेकिन उनका कार्यकाल सिर्फ दो सालों का था क्योंकि उनकी बीच में ही हत्या कर दी गई थी. जो बाइडन पहले ऐसे डेमोक्रेट प्रेसीडेंट हैं जिनके कार्यकाल में एसएंडपी 500 करीब 3 फीसदी नेगेटिव रिटर्न दे रहा है.
क्या बाइडन दोहराएंगे निक्सन का इतिहास
मौजूदा बाजार की तुलना निक्सन दौर के बाजार के साथ हो रही है. इसका कारण भी है साल 1970 में अमेरिकी बाजारों में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. खास बात तो ये है कि उनके पांच साल के कार्यकाल में अमेरिकी शेयर 20 फीसदी तक टूटा था. जोकि किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति दौर में दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन है. सबसे खराब प्रदर्शन जॉर्ज डब्ल्यू बुश के दौर में देखने को मिला था. उनके दो टेन्योर यानी 2001 से लेकर 2009 बाजार 40 फीसदी से ज्यादा टूटा था.
भारतीय बाजारों पर पड़ सकता है असर
वैसे भारतीय बाजारों के लिए भी वित्त वर्ष की पहली तिमाही कुछ खास नहीं रही है. अप्रैल से लेकर जून के महीने तक शेयर बाजार 9 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है. साल 2020 की मार्च तिमाही के बाद यह किसी तिमाही में सबसे बड़ी गिरावट है. अब अमेरिकी बाजारों की यह गिरावट भारतीय शेयर बाजार के लिए शुभ संकेत नहीं है. सप्ताह के आखिरी जुलाई के पहले कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजारों में भी अमेरिकी बाजारों का असर साफ देखने को मिल सकता है. जानकारों की मानें तो अमेरिकी ग्रोथ के आंकड़ों और उनके बाजारों की स्थिति को देखते हुए भारतीय शेयर दो फीसदी गिर सकते हैं.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.