Wheat Price: आम लोगों को मिलेगी राहत, सरकार के इस कदम से सस्ता होगा गेहूं 

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 08, 2022, 06:04 PM IST

Wheat Price: घरेलू गेहूं की कीमतें पिछले हफ्ते रिकॉर्ड 24,000 रुपये प्रति टन पर पहुंच गई थी. 14 मई को सरकार ने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, उसके बाद से गेहूं की कीमतों में 14 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. 

डीएनए हिंदीः आम लोगों को गेहूं की महंगाई (Wheat Price Hike) से राहत मिलती हुई दिखाई दे सकती है. भारत गेहूं के आयात (Wheat Import) पर 40 फीसदी शुल्क को समाप्त करने की तैयारी कर रहा है. दुनिया के दूसरे सबसे बड़े प्रोड्यूसर, सरकार और व्यापार अधिकारियों ने सोमवार को रायटर को बताया कि व्यापारियों द्वारा रिकॉर्ड गेहूं की रिकॉर्ड घरेलू कीमतों को कम करने की कोशिश की जा सकती है. दक्षिण एशियाई देश ने मई में गेहूं के निर्यात पर रोक ((Wheat Export Ban) लगा दी थी, क्योंकि फसल को गर्मी का सामना करना पड़ा था, लेकिन घरेलू कीमतें अभी भी रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गईं. 

फिर भी, अंतरराष्ट्रीय कीमतें अभी भी घरेलू बाजार से काफी ऊपर हैं, जिससे व्यापारियों के लिए विदेशों से खरीदारी करना काफी मुश्किल हो गया है. अगर सरकार शुल्क हटाती है, और अंतरराष्ट्रीय कीमतें भी गिरती हैं, तो व्यापारी आयात करना शुरू कर सकते हैं, खासकर आगामी त्योहारी सीजन के दौरान, जब अधिक मांग से घरेलू कीमतों में आम तौर पर बढ़ोतरी होती है. अधिकारियों का कहना है कि वो गेहूं की कीमतों को कम करने के लिए हर संभव विकल्प तलाश रहे हैं.

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निर्यात प्रतिबंध के बाद भी 14 फीसदी महंगा हुआ गेहूं 
नई दिल्ली 40 फीसदी आयात शुल्क को समाप्त कर सकती है और थोक विक्रेताओं और व्यापारियों पर स्टॉक सीमा लागू कर सकती है ताकि बाजार को संकेत दिया जा सके कि सरकार कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सब कुछ करेगी. घरेलू गेहूं की कीमतें पिछले हफ्ते रिकॉर्ड 24,000 रुपये प्रति टन पर पहुंच गई थी. 14 मई को सरकार द्वारा निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, उसके बाद से गेहूं की कीमतों में 14 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. 

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5 साल से नहीं किया है आयात 
वैश्विक ट्रेडिंग फर्म के मुंबई के एक व्यापारी ने कहा कि घरेलू कीमतें अभी भी वैश्विक कीमतों की तुलना में लगभग एक तिहाई कम हैं, जिन्होंने भारतीय गेहूं को दुनिया में सबसे सस्ता बताया. भारत ने आखिरी बार 2017/18 (अप्रैल-मार्च) वित्तीय वर्ष में गेहूं का आयात किया था. व्यापारी ने कहा कि अगर वैश्विक कीमतों में और 20 फीसदी की गिरावट आती है और भारतीय कीमतों में तेजी जारी रहती है, तो कुछ महीनों के बाद, आयात संभव हो सकता है.

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सरकार की खरीद में 57 फीसदी की गिरावट 
वैश्विक ट्रेडिंग फर्म के साथ नई दिल्ली स्थित एक डीलर ने कहा कि सरकार के पास इस साल बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए सीमित विकल्प हैं क्योंकि इसकी खरीद 57 फीसदी गिरकर 18.8 मिलियन टन हो गई है. डीलर ने कहा कि नई फसल 9 ​​महीने बाद ही उपलब्ध होगी. सरकार को स्टॉक का उपयोग तब तक बहुत सावधानी से करना होगा जब तक कि कोई कमी न हो.

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