डीएनए हिंदीः वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने रविवार को कहा कि ‘यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस’ (UPI) लोगों के लिए एक उपयोगी डिजिटल सेवा है और इस पर शुल्क लगाने का सरकार कोई विचार नहीं कर रही है. मंत्रालय का यह बयान भुगतान प्रणाली में शुल्क पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के चर्चा पत्र से उपजी आशंकाओं को दूर करता है. चर्चा पत्र में सुझाव दिया गया है कि यूपीआई भुगतान (UPI Payment) पर विभिन्न रकम की श्रेणियों में शुल्क लगाया जा सकता है. अभी, यूपीआई के जरिये लेनदेन पर कोई शुल्क नहीं है.
चार्ज लेने कोई विचार नहीं
वित्त मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘यूपीआई लोगों के लिए एक उपयोगी सेवा है, जिससे लोगों को काफी सुविधा होती है और अर्थव्यवस्था की उत्पादकता बढ़ती है. यूपीआई सेवाओं के लिए सरकार कोई शुल्क लगाने पर विचार नहीं कर रही है. लागत की वसूली के लिए सेवा प्रदाताओं की चिंताएं अन्य माध्यमों से पूरी करनी होंगी. सरकार ने पिछले साल डिजिटल भुगतान इकोसिस्टम के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की थी और इस साल भी इस तरह के भुगतानों को अपनाने और आर्थिक और उपयोगकर्ता के अनुकूल भुगतान प्लेटफार्मों को बढ़ावा देने के लिए इसकी घोषणा की है.
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दो साल पहले सरकार ने वापस लिया था एमडीआर
जनवरी 2020 में, केंद्र ने यूपीआई और देसी रुपे डेबिट कार्ड लेनदेन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट वापस ले लिया, जिससे यूपीआई के माध्यम से भुगतान में तेजी से वृद्धि हुई. एमडीआर एक व्यापारी द्वारा बैंक, कार्ड नेटवर्क और पॉइंट-ऑफ-सेल प्रदाता को ऑफलाइन लेनदेन के लिए और ऑनलाइन खरीदारी के लिए भुगतान गेटवे के लिए भुगतान किया जाने वाला शुल्क है.
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