डीएनए हिंदी: तेल कंपनियों को सोमवार को एक बार फिर झटका लगा, जब केंद्र सरकार ने पेट्रोलियम क्रूड पर विंडफॉल टैक्स बढ़ाने की घोषणा की. सरकार ने एक नोटिफिकेशन में जनता को सूचित किया कि क्रूड ऑयल पर विंडफॉल टैक्स मंगलवार को 4,250 रुपये प्रति टन से बढ़कर 7,100 रुपये प्रति टन हो गया. 1 अगस्त को, सरकार ने विंडफॉर्ल टैक्स 1600 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 4250 रुपये प्रति टन कर दिया है.
डीजल और जेट फ्यूल पर लगा SAED
सरकार ने कच्चे तेल के अलावा डीजल के निर्यात पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (SAED) बढ़ाने का भी फैसला किया. अब इसकी कीमत 1 रुपये प्रति लीटर की जगह 5.50 रुपये है. इसके अलावा जेट फ्यूल यानी एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) पर भी 2 रुपये प्रति लीटर का शुल्क लगाया गया है. वहीं दूसरी ओर, सरकार ने पेट्रोल पर SAED शुल्क नहीं लगाया है.
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सरकार ने पिछले साल लगाया था विंडफॉल टैक्स
गौरतलब है कि भारत सरकार ने 2022 में कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स टैक्स लगाना शुरू किया था. जुलाई 2022 के पहले दिन से यह कर लागू हो गया था. यह टैक्स तेल कंपनी के मुनाफे पर लगाया जाएगा. सरकार द्वारा विंडफॉर्ल टैक्स उन तेल कंपनियों से वसूला जाता है जो औसत से अधिक मुनाफा कमाती हैं. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सरकार कंपनियों के प्रॉफिट को देखकर विंडफॉर्ल टैक्स लगाती है. तेल कंपनियों के लाभ मार्जिन को ध्यान में रखते हुए हर 15 दिनों में विंडफॉर्ल टैक्स की समीक्षा की जाती है.
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विंडफॉल टैक्स से क्या फर्क पड़ेगा?
विंडफॉल टैक्स उन कंपनियों पर लगाया जाता है जिन्होंने बाजार की अनुकूल स्थितियों के कारण जरूरत से ज्यादा लाभ कमाया है. परिणामस्वरूप, उनके लाभ का एक हिस्सा सरकार के पास जमा हो जाता है. रूस-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद कच्चे तेल की कीमतों में तेजी देखी गई. इसके बाद सरकार ने तेल कंपनियों की कमाई पर टैक्स लगाने का फैसला लिया. साथ ही, अपना मुनाफ़ा बढ़ाने के लिए कई निजी तेल कंपनियां भारत के बजाय विदेशों में अपना तेल बेचना पसंद करती हैं. ऐसे में सरकार इस लाभ पर कर लगाती है ताकि व्यवसायों को विदेशों के विपरीत घरेलू स्तर पर तेल बेचने की अनुमति और प्रोत्साहन मिल सके.
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