डीएनए हिंदी: भारतीय यूजर्स का मासिक क्रेडिट कार्ड खर्च पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है. इनबिल्ट रिवॉर्ड्स, कैशबैक और एक निश्चित अवधि के बाद बिल का भुगतान करने की सुविधा के साथ, डेबिट कार्ड (Debit Card) की तुलना में क्रेडिट कार्ड (Credit Card) उपयोगकर्ताओं के बीच तेजी के साथ इस्तेमाल किया जा रहा है.
आरबीआई (RBI) के नवंबर 2022 के आंकड़ों के मुताबिक, ऑनलाइन ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर कुल क्रेडिट कार्ड लेनदेन का मूल्य डेबिट कार्ड के खर्च से 3.7 गुना अधिक था. PoS पर भुगतान के लिए भी, क्रेडिट कार्ड भुगतान का मूल्य डेबिट कार्ड लेनदेन से 1.2 गुना ज्यादा था. जब तक आप समय पर राशि चुका सकते हैं, तब तक क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने में कुछ भी गलत नहीं है, यूजर्स को यह भी पता होना चाहिए कि क्रेडिट कार्ड के साथ अधिक खर्च करने के लिए कुछ टैक्स लगाए जाते हैं. या टैक्स खासकर क्रेडिट कार्ड से ज्यादा रकम निकासी पर लगाए जाते हैं. अगर आप भी क्रेडिट कार्ड का पेमेंट करते हैं तो यह खबर आपको जरुर पढ़नी चाहिए.
क्या क्रेडिट कार्ड खर्च के लिए कोई स्पेसिफिक इनकम टैक्स रूल है?
इनकम टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि क्रेडिट कार्ड से खर्च करने के लिए कोई विशेष नियम नहीं हैं. लेकिन बैंकों के लिए आयकर विभाग (Income Tax Department) को अधिक मूल्य के लेनदेन की सूचना देना अनिवार्य है.
वित्तीय संस्थानों को 10 लाख रुपये से ऊपर के किसी भी लेनदेन की सूचना फॉर्म 61ए के जरिए देनी होती है. इसके अतिरिक्त, आयकर विभाग ने व्यक्तियों के लिए क्रेडिट कार्ड लेनदेन को फॉर्म 26ए में शामिल किया है, जहां व्यक्तियों द्वारा उच्च मूल्य के लेनदेन की सूचना देने की आवश्यकता होती है.
1 लाख रुपये से अधिक के क्रेडिट कार्ड बिल का नकद भुगतान करने पर कर जांच हो सकती है. इंडियालेंड्स के संस्थापक और सीईओ गौरव चोपड़ा कहते हैं, "कर अधिकारी विशेष रूप से नकदी के माध्यम से बिल भुगतान के बारे में जानकारी मांगते हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए 1 लाख रुपये से अधिक पैसा कहां से आया."
क्या अतिरिक्त क्रेडिट कार्ड खर्च इनकम टैक्स को आकर्षित करते हैं?
अगर आप क्रेडिट कार्ड का एक लाख रुपये या उससे ज्यादा का लेन-देन करते हैं तो आपको आयकर विभाग की तरफ से दो स्थितियों में कानूनी नोटिस प्राप्त हो सकता है:
यदि नकद में 1 लाख रुपये या इससे अधिक क्रेडिट कार्ड बकाया हैं.
अगर कोई क्रेडिट कार्ड से 10 लाख रुपये या उससे अधिक की खरीदारी करता है.
इसके अलावा, फॉर्म 26AS में भाग E भारतीय करदाताओं के उच्च मूल्य के लेनदेन को भी रिकॉर्ड करता है.
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