क्यों लेना है पर्सनल लोन या गोल्ड लोन, जब Mutual Fund पर मिल रहा सबसे सस्ते दर पर लोन

नेहा दुबे | Updated:Aug 03, 2023, 11:28 AM IST

Mutual Fund

Mutual Fund Loan: अगर अभी तक आप गोल्ड लोन या पर्सनल लोन लेते थे तो अब आप म्यूचुअल फंड पर भी लोन ले सकते हैं वह भी काफी कम इंटरेस्ट रेट पर. यहां जानिए सब कुछ...

डीएनए हिंदी: भारत में ऐसे बहुत से लोग हैं जो Mutual Fund में ही निवेश करना ज्यादा बेहतर मानते हैं. इकनॉमिक टाइम्स के एक रिपोर्ट में बताया गया है कि म्यूचुअल फंड के लोन को पर्सनल लोन या गोल्ड लोन के मुकाबले सस्ते ब्याज दर पर ग्राहकों के लिए उपलब्ध कराया गया है. इसके अलावा आप पब्लिक और प्राइवेट बैंक से भी लोन ले सकते है. लेकिन गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां (NBFC)  लोन देने के मामले में ज्यादा आगे आई हैं. 

स्कीम की वैल्यू का मैक्सिमम कितना प्रतिशत तक कर्ज मिलता है

इक्विटी म्यूचुअल फंड आपको इस स्कीम की वैल्यू का मैक्सिमम 50% तक कर्ज देता है. NBFC अपने ग्राहकों के क्रेडिट स्कोर के आधार पर ही लोन का 9-10% तक ब्याज दर उपलब्ध कराता है. बता दें कि गोल्ड लोन में 9-24% तक ब्याज दरें लिया जाता है और पर्सनल लोन के लिए 10-18% तक का इंटरेस्ट देना होता है. म्यूचुअल फंड में मैक्सिमम लोन की अवधि 12 माह की होती है. इसके अलावा कर्ज की मिनिमम राशि 10,000 रुपये और मैक्सिमम पैसा 1 करोड़ रुपये तक होता है.

मिराए असेट फाइनैंशिल सर्विसेज के CEO कृष्ण कन्हैया के मुताबिक, आपने कई बार देखा होगा कि निवेशक अपने इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट को बेच देते हैं. निवेशक ऐसा इसलिए करते हैं कि क्योंकि उन्हें अपने शॉर्ट टर्म इमरजेंसी को पूरा करना होता है. इस कारण उन्हें इक्विटी का अच्छा रिटर्न नहीं मिलता है और वो अपने लॉन्ग टर्म लक्ष्यों को भी पूरा नहीं कर पाते हैं.

अब लोन लेना हुआ आसान

डिजिटलीकरण के वजह से अब लोगों को आसानी से म्यूचुअल फंड से लोन मिल जाता है. NBFC के इग्जेक्यूटिव्स के मुताबिक अगर कोई ग्राहक लोन लेता है तो उस लोन पर उतना ही ब्याज लिया जाता है जितने दिनों के लिए ग्राहक ने उस लोन वाली राशि का इस्तेमाल किया है और इस पर कोई EMI भी नहीं लगाया जाता है. इसके अलावा म्यूचुअल फंड में 1 साल के लोन पीरियड को इससे कम समय में ही इसकी राशि को पूरा कर 1 साल के बाद नए लोन को रीन्यू कराया जा सकता है. फाइनैंशिल प्लानरों का मानना है कि इस लोन का इस्तेमाल आप किसी मेडिकल इमरजेंसी जैसी जरूरतों के लिए भी कर सकते हैं.

इस लोन से नुकसान 

बता दें कि इस तरह के लोन का थोड़ा नुकसान भी है. अगर आप म्यूचुअल फंड से लोन लिए हैं और उसी समय शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिले तो ऐसी स्थिति में आपको टॉप-अप लाना पड़ता है. इसका सीधा मतलब है कि कर्जदाता अपने कर्जदार को आदेश देता है कि इक्विटी म्यूचुअल फंड के मूल्य में जितनी भी कमी आई है वो सारा पैसा कर्जदार को ही चुकाना होगा.

लोन लेते समय निवेशक ध्यान दें

प्राइम इन्वेस्टर की को-फाउंडर विद्या बाला ने बताया कि निवेशकों को ऐसे लोन लेने से पहले बहुत ध्यान देना चाहिए की इस लोन को देने के पीछे उनका मुख्य मोटिव क्या है. उदाहरण के लिए अगर असेट मैनेजमेंट कंपनियां या डिस्ट्रीब्यूटर के असेट में कोई भी कमी आती है तो इससे उनकी इनकम भी कम हो जाएगी.

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