Tax Savings FD: टैक्स बचाने का कर रहे हैं प्लान, इन फिक्स्ड डिपॉजिट में कर सकते हैं निवेश

नेहा दुबे | Updated:Mar 18, 2023, 08:15 AM IST

Tax Saving FD

Tax Saving FD: अगर आप फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करते हैं तो हमारे बताए गए इन ऑप्शन्स की मदद से आप टैक्स बचा सकते हैं.

डीएनए हिंदी: वित्त वर्ष 2023 खत्म होने से पहले टैक्स बचाने (Tax Saving FD) का विकल्प तलाश रहे लोगों के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है. कई बैंक और डाकघर पांच साल की मैच्योरिटी पीरियड के साथ टैक्स बचत एफडी की पेशकश करते हैं. यह ऑप्शन आपको ज्यादा से ज्यादा टैक्स बचाने में मदद कर सकता है, खासकर अगर आपने पहले से ही पोस्ट ऑफिस स्कीम्स, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS), होम लोन (Home Loan) और म्युचुअल फंड (Mutual Fund) जैसे अन्य विकल्पों की खोज की है.

एसबीआई (SBI), एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank), डीसीबी बैंक (DCB Bank) और एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक (AU Small Finance Bank) जैसे बैंक टैक्स सेविंग एफडी पर 6.50 फीसदी से लेकर 7.60 फीसदी तक की ब्याज दर की पेशकश करते हैं. टैक्स सेविंग एफडी (Tax Saving FD) में निवेश करके आप इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act), 1961 के सेक्शन 80C के तहत टैक्स बचा सकते हैं. हालांकि, केवल वे लोग जिन्होंने पुरानी टैक्स व्यवस्था का ऑप्शन चुना है, वे ही इसके जरिए टैक्स छूट पा सकते हैं. नई टैक्स व्यवस्था के तहत एफडी के जरिए टैक्स सेविंग (Tax Saving) का ऑप्शन मौजूद नहीं है.

यह ध्यान रखने वाली बात है कि केवल व्यक्ति और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) टैक्स सेविंग एफडी (Tax Saving FD) में निवेश कर सकते हैं. नाबालिग अपने माता-पिता की मदद से निवेश कर सकते हैं. टैक्स सेविंग एफडी (Tax Saving FD) में निवेश की जा सकने वाली अधिकतम राशि 1.5 लाख रुपये तक है.

किसी को यह भी पता होना चाहिए कि टैक्स बचत एफडी (Tax Saving FD) की मैच्योरिटी अवधि पांच वर्ष है और समय से पहले निकासी या लोन परमिट की अनुमति नहीं है. इसलिए, टैक्स सेविंग एफडी (Tax Saving FD) में निवेश करने से पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों और तरलता आवश्यकताओं पर विचार करना जरूरी है.

अगर आप वित्त वर्ष 2023 खत्म होने से पहले टैक्स बचाने का विकल्प तलाश रहे हैं, तो टैक्स सेविंग एफडी (Tax Saving FD) एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है. कई बैंक बेहतरीन ब्याज दरों के साथ इस ऑप्शन की पेशकश करते हैं और यह आपको आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80C के तहत टैक्स बचाने में मदद कर सकता है. हालांकि, निवेश करने से पहले मैच्योरिटी अवधि और तरलता आवश्यकताओं पर विचार करना जरूरी है.

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