डीएनए हिंदी: जब आप किसी बैंक या फाइनेंशियल संस्थान से लोन लेते हैं तो कई बार मन में यह भी सवाल उठता है कि अगर लोन नहीं दे पाए तो क्या होगा? क्या बैंक इस लोन को माफ़ कर सकती है या उसे दिवालिया घोषित कर दिया जाएगा. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति खुद को दिवालिया घोषित कर देता है तो क्या होगा? हालांकि कोई खुद को आसानी से दिवालिया घोषित नहीं कर सकता है? खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए लोन लिए हुए व्यक्ति या संस्थान को कोर्ट में अर्जी दाखिल करनी पड़ती है. इसके बाद कोर्ट व्यक्ति की दलीलों को सुनता है और तब जाकर कहीं उसे दिवालिया घोषित किया जाता है. इस चीज में लगभग 180 दिन लगते हैं. जैसे ही व्यक्ति को दिवालिया घोषित किया जाता है बैंक उसकी सारी संपत्ति जब्त कर लेती है. बता दें कि देश में साल 2016 में दिवाला या दिवालिया संहिता कानून बनाया था.
दिवाला याचिका कब दायर की जाती है?
दिवाला याचिका तब दायर की जाती है जब कोई व्यक्ति लिया हुआ लोन वापिस कर पाने में असमर्थ पाया जाता है. दिवाला भी दो तरह का होता है.पहला तथ्यात्मक दिवाला और दूसरा वाण्जियिक दिवाला.
तथ्यात्मक दिवाला के तहत व्यक्ति के जब सभी संपत्तियों को बेचने के बाद बैंक को पूरी रकम नहीं मिल पाती है तो उसे तथ्यात्मक दिवाला कहते हैं. वहीं वाण्जियिक दिवाला के तहत कर्जदार के पास देनदार से भी ज्यादा संपत्ति होती है लेकिन वह फिर भी लोन नहीं चुका पाता है.
किसे दिवाला घोषित किया जा सकता है?
दिवाला घोषित करने की कोई सीमा नहीं है. मान लीजिये कोई व्यक्ति 500 रुपये का लोन लेता है और वह फिर भी अगर इस लोन को चुका पाने में असमर्थ होता है तो उसे भी दिवाला घोषित किया जा सकता है. यानी यह पूरी बात पर निर्भर करता है कि वह किसे दिवाला होने की अनुमति देता है.
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