Income Tax Deductions: टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स में बचा सकते हैं 8 लाख रुपये तक! यहां जानिए आसान तरीके

Income Tax Deductions: अक्सर देखा गया है कि इनकम टैक्स की कटौती से लोग परेशान हो जाते हैं ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें नहीं पता होता है कि वे अपने किए गए निवेश या खर्चपर कितना टैक्स बचाते हैं. अगर आप समझदारी से निवेश करते हैं और खर्चों का दावा करते हैं तो आप एक साल में 8 लाख तक टैक्स बचा सकते हैं.

नेहा दुबे | Updated: Aug 20, 2022, 05:43 PM IST

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आपको इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत सभी टैक्स छूट मिलती है. उदाहरण के लिए अगर आपने एलआईसी (LIC) की पॉलिसी ली है तो आप इसके प्रीमियम का दावा कर सकते हैं. प्रोविडेंट फंड (provident fund), पीपीएफ (PPF), बच्चों की ट्यूशन फीस (children’s tuition fee), नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (national savings certificate), होम लोन (home loan) के मूलधन पर 80C के तहत टैक्स छूट मिल सकती है. अगर आपने सेक्शन 80CCC के तहत एलआईसी या किसी अन्य बीमा कंपनी का एन्युटी प्लान (pension plan) खरीदा है तो आप टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. अगर आपने धारा 80 CCD (1) के तहत केंद्र सरकार की पेंशन योजना खरीदी है तो आप इसका दावा कर सकते हैं. याद रखें कि इन सभी को मिलाकर टैक्स छूट 1.5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं हो सकती.

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आप होम लोन के मूल भुगतान पर सेक्शन 80सी के तहत टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं. हालांकि यह सीमा 1.5 लाख रुपये से अधिक नहीं हो सकती है. अगर 80C के तहत आपकी शेष कटौती 1.5 लाख रुपये से कम है तो आप होम लोन की मूल राशि से इस सीमा को पूरा करके कर कटौती का दावा कर सकते हैं.

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अगर आपने होम लोन लिया है तो आपको इनकम टैक्स की धारा 24(B) के तहत चुकाए गए ब्याज पर टैक्स छूट मिलती है. इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक 2 लाख तक के ब्याज भुगतान पर टैक्स में छूट मिल सकती है. यह टैक्स छूट तभी मिलेगी जब प्रॉपर्टी 'सेल्फ ऑक्यूपाइड' हो.

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विकलांग आश्रितों के इलाज और रखरखाव पर होने वाले खर्च का दावा किया जा सकता है. आप एक साल में 75,000 रुपये तक का दावा कर सकते हैं. यदि आश्रित व्यक्ति की विकलांगता 80 प्रतिशत या उससे अधिक है तो चिकित्सा व्यय पर 1.25 लाख रुपये की कर कटौती का दावा किया जा सकता है.

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आयकर की धारा 80 DD (1B) के तहत स्वयं या आश्रित की विशिष्ट बीमारी के इलाज के लिए भुगतान किए गए 40,000 रुपये तक की कटौती का दावा किया जा सकता है. अगर व्यक्ति वरिष्ठ नागरिक है तो यह सीमा 1 लाख रुपये हो जाती है.