डीएनए हिंदी: अगर आप नए करदाता हैं तो आपको रिटर्न फाइल करने से पहले कुछ बातें जाननी जरूरी हैं. टैक्स रिटर्न फाइल करने की एक प्रक्रिया होती है. इस प्रक्रिया को पूरा करने के बाद ही रिफंड जारी किया जाता है. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद उसका वेरिफिकेशन किया जाता है. वेरिफिकेशन के बाद जब इसे जमा किया जाता है तो आयकर विभाग (Income Tax Department) जांच करता है.
ITR में लेटर ऑफ इंटिमेशन क्या है?
टैक्स की भाषा में इसे लेटर ऑफ इंटिमेशन कहा जाता है. यह नोटिस बताता है कि आपके द्वारा दाखिल किया गया रिटर्न सही है या गलत. ऐसा नोटिस तब भी आ सकता है जब आपने ब्याज की जानकारी गलत दर्ज की हो या रिटर्न दाखिल करते समय कोई छोटी सी गलती हुई हो. यह नोटिस बताता है कि रिटर्न में जो भी गलतियां हुई हैं उन्हें सुधार लें.
इनकम टैक्स नोटिस क्यों आ सकता है?
इनकम टैक्स नोटिस का जवाब देने में देरी न करें
टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक 143(1) के तहत टैक्स नोटिस को नोटिस ऑफ डिमांड कहा जाता है. यानी अगर आपकी कोई टैक्स देनदारी बकाया है तो आप इस मैसेज के मिलने के 20 दिन के अंदर उसका भुगतान कर दें. यदि आप इसमें देरी करते हैं तो 30 दिन बीत जाने के बाद आपको एक प्रतिशत मासिक की दर से ब्याज देना होगा.
आयकर वापसी की स्थिति की जांच कैसे करें?
मांग सूचना (धारा 156 के तहत)
धारा 156 के तहत बकाया राशि, ब्याज, जुर्माने आदि के खिलाफ आयकर नोटिस जारी किया जाता है. ऐसी जानकारी आमतौर पर आयकर रिटर्न के आकलन के बाद भेजी जाती है. निर्धारण अधिकारी द्वारा जारी नोटिस, देय राशि का निर्देश देता है और करदाता को किसी भी दंड से बचने के लिए बकाया राशि समय पर जमा करने के लिए कहता है.
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