डीएनए हिंदी: देश के विकास में कर एक खास योगदान करता है. किसी भी देश के नागरिक जब अपनी आय का हिस्सा कर के रूप में सरकार को देते हैं तो उससे देश का आर्थिक विकास होता है. हालांकि सरकार को टैक्स (How to file ITR) सिर्फ वही लोग देते हैं जो टैक्स स्लैब के अंतर्गत आते हैं. स्लैब सिस्टम के आधार पर ही आयकर लगाया जाता है. इसका मतलब है कि आय की विभिन्न श्रेणियों के लिए अलग-अलग टैक्स रेट निर्धारित हैं. यानी करदाता की आय में वृद्धि के साथ कर की दरें भी बढ़ती रहती हैं. इस तरह का कराधान देश में प्रगतिशील और निष्पक्ष कर प्रणाली को सक्षम बनाता है. इस तरह के आयकर स्लैब में हर बजट के दौरान बदलाव होता है.
अलग-अलग कैटेगरी के टैक्सपेयर्स के लिए ये स्लैब रेट अलग-अलग हैं. Income Tax विभाग ने "व्यक्तिगत" करदाताओं की तीन श्रेणियों को वर्गीकृत किया है जैसे:
- निवासी और अनिवासी सहित व्यक्ति (60 वर्ष से कम आयु के)
- निवासी वरिष्ठ नागरिक (60 से 80 वर्ष की आयु)
- निवासी सुपर वरिष्ठ नागरिक (80 वर्ष से अधिक आयु के
वित्तीय वर्ष 2021-22 और आकलन वर्ष 2022-23 के लिए नए आयकर स्लैब
देश को 2020 के दौरान जिस संकट का सामना करना पड़ा उसके कारण केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं करने और इसे नए वित्त वर्ष 2021-22 में लागू करने का निर्णय लिया था. हालांकि नए स्लैब में छूट दे दी गई थी. इसके मुताबिक 75 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक जो अपनी पेंशन के साथ-साथ आय के हितों पर काफी हद तक निर्भर हैं, उन्हें टैक्स रिटर्न भरने से छूट दी गई है. बता दें कि उनके मामलों में बैंक खुद ही स्वचालित रूप से TDS (Tax Deducted of Source) काट लेंगे.
इनकम टैक्स रिटर्न कैसे फाइल करें? (How To File Income Tax Return?)
आयकर रिटर्न दाखिल करने में अब वह परेशानी नहीं रही जो पहले हुआ करती थी. टैक्स-फाइलिंग की समय सीमा को पूरा करने की लंबी कतारें और अंतहीन चिंताएं दूर हो गई हैं. अब कोई भी कहीं से भी ऑनलाइन फाइलिंग के जरिए जिसे ई-फाइलिंग (e-filing) भी कहा जाता है की मदद से ITR भर सकता है.
इनकम टैक्स रिटर्न कैसे डाउनलोड करें? (How to Download Income Tax Return?)
अंतिम समय के तनाव और जुर्माने से बचने के लिए यह जरूरी है कि समय पर आईटीआर (ITR) दाखिल कर दें. एक बार जब आप अपना आईटीआर (Income Tax Return) दाखिल कर देते हैं तो आयकर विभाग द्वारा आयकर सत्यापन फॉर्म तैयार किया जाता है ताकि करदाता ई-फाइलिंग की वैधता को सत्यापित कर सकें. मालूम हो कि यह तभी लागू होते हैं जब आपने बिना डिजिटल हस्ताक्षर के अपना रिटर्न दाखिल किया हो.
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