World Bank Report: दुनिया में क्यों बढ़ रही गरीबी, विश्व बैंक ने इसे कम करने का दिया सुझाव

नेहा दुबे | Updated:Oct 06, 2022, 08:17 PM IST

World Bank Report on Poverty

विश्व बैंक ने दुनिया में बढ़ रही गरीबी को लेकर रिपोर्ट जारी किया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक तेजी के साथ गरीबी रेखा के नीचे के लोगों की वृद्धि हो रही है.

डीएनए हिंदी: कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की इकॉनोमी को हिला कर रख दिया है. अभी तक लोग कोरोना वायरस संक्रमण की मार से उबर नहीं पाए हैं. वहीं गरीबों की हालत तो और भी दयनीय हो गई थी. दरअसल इस बात का खुलासा विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में किया गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक कोविड महामारी वैश्विक गरीबी उन्मूलन (Global Poverty Alleviation) के लिए सबसे बड़ा झटका साबित हुआ है. रिपोर्ट में बताया गया है कि, “दुनिया के अत्यधिक गरीबी को साल 2030 तक समाप्त करने के लक्ष्य को पूरा करने की संभावना नहीं है क्योंकि इस दशक में आर्थिक विकास दर बढ़ने की उम्मीद नहीं है.”

साथ ही रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि साल 2015 तक वैश्विक गरीबी में कमी आती हुई दिखी लेकिन कोरोना महामारी और यूक्रेन-रूस के बीच चल रहे युद्ध ने इसे पूरी तरह उलट दिया और इसमें फिर से बढ़ोतरी हो गई. साल 2020 में सबसे ज्यादा गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में 70 मिलियन से ज्यादा की बढ़ोतरी देखने को मिली. साल 1990 में वैश्विक गरीबी पर निगरानी शुरू हुई थी. जिसके बाद एक साल के अंदर इतनी बड़ी संख्या में गरीबी में वृद्धि देखने को मिली है. इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 के अंत तक लगभग 719 मिलियन लोग 2.15 डॉलर प्रति दिन से कम पर अपना जीवन यापन करने के लिए मजबूर थे. इस महामारी के दौरान दुनिया के सबसे गरीब लोगों ने इसका बड़ा हर्जाना चुकाया है. 40 प्रतिशत सबसे गरीब लोगों के लिए औसतन 4 प्रतिशत का नुकसान था. वहीं आय वितरण के 20 प्रतिशत सबसे धनी लोगों के लिए यह नुकसान दोगुना था. यह वैश्विक असमानता कई दशकों के बाद पहली बार बढ़ी है.

भारत में भी बढ़ी है गरीबी

रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान भारत में भी गरीबी बढ़ी है. रिपोर्ट में बताया गया कि “पिछले अनुमानों ने 2017 में 1.90 अमेरिकी डॉलर की गरीबी रेखा 10.4 प्रतिशत पर गरीबी की संख्या का सुझाव दिया था. सिन्हा रॉय और वैन डेर वेइड (2022) पर आधारित नवीनतम अनुमान से पता चलता है कि 2017 में 1.90 अमेरिकी डॉलर की गरीबी रेखा 13.6 प्रतिशत थी”  हालांकि साल 2011 के बाद अब तक गरीबी का कोई आधिकारिक अनुमान मौजूद नहीं है.

विश्व बैंक ने दिया सुझाव

विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के पास कम संसाधन होने की वजह से वह कम खर्च कर पाए और कम हासिल कर पाए. हालांकि राजकोषीय नीति को लेकर विश्व बैंक ने तीन विशिष्ट सुझाव दिए हैं.

1: व्यापक सब्सिडी के बजाय लक्षित नकद हस्तांतरण चुनें.
2: लंबी अवधि के विकास के लिए सार्वजनिक खर्च को प्राथमिकता दें.
3: गरीबों को नुकसान पहुंचाए बिना कर राजस्व जुटाना.

विश्व बैंक ग्रुप के अध्यक्ष डेविड मलपास के मुताबिक, “राजकोषीय नीति-विवेकपूर्ण ढंग से इस्तेमाल की गई और राजकोषीय स्थान के संदर्भ में प्रारंभिक देश की स्थितियों पर विचार करते हुए विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में नीति निर्माताओं के लिए गरीबी और असमानता के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाने का मौका देती है.”

यह भी पढ़ें:  RBI: दिवाली से पहले सीधे खाते में आएंगे 5 लाख रुपये, जानिए डिटेल्स

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

world bank world bank news World Bank Report COVID-19