YouTube से कमाई करने वालों को कितना देना होगा टैक्स? जानें आसान कैलकुलेशन 

ITR Filing: भारत में यूट्यूब क्रिएटर्स के लिए टैक्स के नियम और ITR फाइलिंग को लेकर कुछ विशेष निर्देश दिए गए हैं, जो सभी कंटेंट क्रिएटर्स के लिए जानना जरूरी है. आइए जानते हैं इसके बारे में. 

| Updated: Oct 15, 2024, 11:55 AM IST

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भारत में इनकम टैक्स के नियम सभी करदाताओं के लिए एक जैसे होते हैं, चाहे वे सैलरीड व्यक्ति हों या फ्रीलांसर. कृषि आय को छोड़कर, बाकी सभी को अपनी आय पर टैक्स देना जरूरी होता है. 

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मौजूदा टैक्स सिस्टम के मुताबिक, ओल्ड टैक्स रिजीम में 5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता, जबकि न्यू टैक्स रिजीम में 7 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री है. टैक्स रिजीम का चुनाव करते समय क्रिएटर्स को ध्यान देना चाहिए कि उनकी आय के स्रोत और खर्चा क्या है. साथ ही इसके आधार पर वो किसी रिजीम में आते हैं. 

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यूट्यूब क्रिएटर्स को ITR-1 या ITR-2 फॉर्म का उपयोग नहीं करना होता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि उनकी कमाई को सैलरी के रूप में नहीं माना जाता है. उनकी कमाई को फ्रीलांसर या व्यवसाय के तौर पर देखा जाता है, जिसके लिए ITR-3 और ITR-4 फॉर्म का इस्तेमाल होता है. 

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ITR-3 फॉर्म उन क्रिएटर्स के लिए है, जिनकी आय 50 लाख से अधिक है या जो अपने घाटे को आगे ले जाना चाहते हैं. वहीं, अगर क्रिएटर ने प्रेजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम का विकल्प लिया है, तो वे ITR-4 फॉर्म का यूज कर सकते हैं. यह स्कीम उन क्रिएटर्स के लिए है, जिनकी आय 50 लाख रुपये से कम होती है. उन्हें बैलेंस शीट की जटिलताओं से बचना होता है. 

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यूट्यूब क्रिएटर्स अपने पेशेवर खर्चों के आधार पर टैक्स में कटौती का कर सकते हैं. इसमें वीडियो प्रोडक्शन, एडिटिंग, मार्केटिंग और अन्य संबंधित खर्चों को शामिल किया जा सकता है. इससे उनकी टैक्स योग्य आय में कमी आती है. साथ ही कम टैक्स चुकाना पड़ता है. हालांकि, सैलरीड कर्मचारियों की तरह क्रिएटर्स 50,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ नहीं उठा सकते हैं. 

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आयकर विभाग यूट्यूब क्रिएटर्स की आय को उनकी गतिविधियों के आधार पर बांटते है. अगर कोई चैनल रजिस्टर्ड व्यवसाय के रूप में चलता है, तो इसे व्यवसायिक आय माना जाता है. वहीं, अगर चैनल सिर्फ मनोरंजन या हौबी के तौर पर चलाया जा रहा है और उससे आय हो रही है, तो इसे 'अन्य स्रोतों' की आय में रखा जाता है.