ज्यादातर कंपनियों के कर्मचारियों ने कहा-हमें 4 Day Workweek चाहिए क्योंकि...

4 Days Workweek Model को दुनिया की कई कंपनिया अपना रही हैं. ऐसे में भारतीय कंपनियां भी इसे लेकर सकारात्मक संकेत दे रही हैं.

कोविड-19 महामारी के दौरान पूरी दुनिया में कई तरह के वर्क कल्चर सामने आए हैं.  वहीं अब वर्किंग डेज को लेकर भी दुनिया भर में कर्मचारियों के लिए हफ्ते में 4-वर्किंग डेज मॉडल (4-Day Workweek Model) अपनाया जा रहा है. दुनिया के कई देशों ने इस बारें में फैसले में लिए है. इस बीच एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में भी ज्यादातर कंपनियां को लगता है कि इस व्यवस्था से तनाव कम करने में मदद मिलेगी.

भारत में किया गया सर्वे

दरअसल, एचआर सॉल्यूशन्स जीनियस कंसल्टेंट्स (HR Solutions Genius Consultants) की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की 60 फीसदी से अधिक कंपनियों का यह मत है कि हफ्ते में 4-वर्किंग डेज वाला मॉडल नौकरी में संतुष्टि और काम एवं जीवन के बीच संतुलन साधने के साथ संगठन के ओवरऑल मनोबल को बढ़ाने के लिहाज से भी सफल साबित होगी.

काम करने में होगी सहूलियतें

इसके साथ ही कंपनियों ने यह भी माना है कि इससे स्ट्रेस भी कम होगा और कर्मचारियों के काम करने की क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी जो कि कंपनी के लिए सर्वाधिक मददगार होगी. 

बेकार है यह नया मॉडल

वहीं इस सर्वे की रिपोर्ट में 27 फीसदी कंपनियां इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि संगठन की प्रोडक्टिविटी पर इस चलन का क्या असर हो सकता है. वहीं 11 फीसदी कंपनियों ने कहा कि 4-वर्किंग डेज वाला मॉडल से कोई उल्लेखनीय सकारात्मक परिणाम नहीं आने वाले हैं.

बड़े स्तर किया गया सर्वे

यह रिपोर्ट 1,113 कंपनियों और कर्मचारियों पर 1 फरवरी से 7 मार्च के बीच कराए गए एक ऑनलाइन सर्वेक्षण पर आधारित है. यह सर्वेक्षण बैंकिंग व फाइनेंस, कंस्ट्रक्शन व इंजीनियरिंग, शिक्षा, एफएमसीजी, हॉस्पिटैलिटी, एचआर सॉल्यूशन्स, आईटी, आईटीईएस और बीपीओ, लॉजिस्टिक्स, मैन्युफैक्चरिंग, मीडिया, तेल एवं गैस क्षेत्र की कंपनियों में किया गया था.

कर्मचारियों को पसंद है मॉडल

वहीं इस सर्वे के नतीजे बताते हैं कि 100 फीसदी कर्मचारी 4-वर्किंग डेज वाला मॉडल के पक्ष में हैं. सर्वेक्षण में कंपनियों से पूछा गया था कि एक अतिरिक्त दिन का अवकाश मिलने पर क्या वे रोजाना 12 घंटे से अधिक समय तक काम करने को तैयार हैं तो उनमें से 56 फीसदी लोग फौरन ही इसके लिए राजी हो गए. हालांकि 44 फीसदी कर्मचारी कामकाजी घंटों को बढ़ाने के पक्ष में नहीं दिखे.