Ratan Tata का निधन, अब उनके बाद कौन संभालेगा Tata Group की 100 कंपनियां

Ratan Tata Successor: रतन टाटा की उम्र 86 साल है. उनकी तबीयत लगातार खराब हो रही है. उन्हें अस्पताल में ICU में भर्ती कराना पड़ा है. इसके बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर सवाल फिर से तेज हो गए हैं.

कुलदीप पंवार | Updated: Oct 10, 2024, 12:07 AM IST

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टाटा ग्रुप की स्थापना करीब 150 साल पहले 1868 में जमशेदजी नौशेरजी टाटा ने की थी. आज की तारीख में ग्रुप की 100 से ज्यादा कंपनियां हैं, जो हर फील्ड में अपनी छाप रखती हैं. रसोई में नमक-मसालों से लेकर सड़क पर चलने वाली गाड़ी और आसमान में सफर कराने वाली एयरलाइंस तक टाटा ग्रुप मौजूद है. टाटा ग्रुप की ज्वैलरी, घड़ी और फैशन एसेसरीज हैं तो चाय-कॉफी तक भी लोग यूज कर रहे हैं. इतना ही नहीं टाटा ग्रुप की आईटी कंपनी के बनाए सॉफ्टवेयर्स भी लोग इस्तेमाल कर रहे हैं. देश की जीडीपी में टाटा ग्रुप की 2 फीसदी हिस्सेदारी है. करीब 403 अरब डॉलर का रेवेन्यू कमाने वाले इस समूह की विभिन्न कंपनियों में 9.35 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं.

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रतन टाटा साल 1991 में करीब 150 साल पुराने टाटा समूह (Tata Group) के चेयरमैन बने थे. वे 2012 मे रिटायरमेंट लेने तक अपने पड़दादा द्वारा स्थापित इस कंपनी के चेयरमैन पद पर रहे. इस दौरान उन्होंने स्टील से ऑटोमोबाइल तक का व्यापार करने वाले टाटा ग्रुप को नए दौर में स्थापित किया. उन्होंने 1996 में टाटा टेलीसर्विसेज की शुरुआत की तो 2004 में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज (TCS) के तौर पर IT कंपनी भी स्टार्ट की. टाटा समूह के चेयरमैन पद से हटने के बाद भी उन्हें ग्रुप का चेयरमैन एमेरिट्स का पद दिया गया है. चेयरमैन नहीं होने के बावजूद कंपनी के फैसलों में आज भी उनका सीधा दखल रहता है.

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आपके दिमाग में सवाल आ रहा होगा कि यदि रतन टाटा ने 2012 में रिटायरमेंट ले लिया था तो उनके बाद टाटा ग्रुप कौन संभाल रहा है? रतन टाटा के बाद समूह का चेयरमैन सायरस मिस्त्री को बनाया गया था, लेकिन उनके कामकाज से नाखुश होकर रतन टाटा वापस लौट आए थे. उन्होंने जनवरी, 2017 तक फिर से ग्रुप को संभाला था. इसके बाद उन्होंने ग्रुप की कमान अपने विश्वसनीय नटराजन चंद्रशेखरन को दे दी थी. एन. चंद्रशेखरन ही फिलहाल ग्रुप के चेयरमैन के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. 

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रतन टाटा के बाद ग्रुप की जिम्मेदारी टाटा परिवार की अगली पीढ़ी के हाथ में आ सकती है. टाटा परिवार की अगली पीढ़ी में नेविले, लीह और माया टाटा शामिल हैं, जो टाटा ग्रुप की विभिन्न कंपनियों में एक आम प्रोफेशनल की तरह शुरुआत कर खुद को साबित करते हुए आगे बढ़कर आए हैं. ये तीनों रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल नवल टाटा के बच्चे और लेक्मे कंपनी की संस्थापक सिमोन टाटा के पोते-पोती हैं. नोएल टाटा को भी यह जिम्मेदारी मिल सकती है, लेकिन इसकी संभावना बेहद कम है. 

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टाटा परिवार की अगली पीढ़ी में माया टाटा (Maya Tata) को सबसे प्रतिभाशाली माना जाता है, जिन्होंने ब्रिटेन के बैस बिजनेस स्कूल और यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक से पढ़ाई की है. 34 साल की माया ने टाटा ऑपर्च्युनिटीज फंड से करियर शुरू किया था, जो टाटा कैपिटल की सहायक कंपनी थी. इस दौरान उन्होंने पोर्टफोलियो मैनेजमेंट और इंवेस्टर रिलेशनशिप्स में सभी को प्रभाावित किया. बाद में वे टाटा डिजिटल से जुड़ गई. माया को टाटा ग्रुप में प्रभावी चेहरों में गिना जाता है, जो ग्रुप की मुख्य प्रमोटर कंपनी टाटा संस की सालाना आम बैठक में भी हिस्सा लेती हैं और उनके सुझाव पर विचार भी किया जाता है.

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लीह टाटा (Leah Tata) टाटा परिवार की अगली पीढ़ी में सबसे बड़ी हैं. 38 वर्षीय लीह ने मैड्रिड के IE बिजनेस स्कूल से मार्केटिंग में मास्टर्स डिग्री ली है. उन्होंने साल 2006 में टाटा ग्रुप जॉइन किया था. वे ग्रुप की हॉस्पिटेलिटी कंपनी ताज होटल्स रिजॉर्ट्स एंड पैलेसेज में असिस्टेंट सेल्स मैनेजर बनी तीं. फिलहाल वे इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (IHCL) में वाइस प्रेसिडेंट हैं.

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नेविल टाटा ज्यादातर अपने पापा नोएल टाटा के बिजनेस से जुड़े रहे हैं. नोएल की कंपनी ट्रेंट लिमिटेड में 32 साल के नेविल नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ह चुके हैं. फिलहाल वे टाटा ग्रुप के रिटेल बिजनेस स्टार बाजार (Star Bazaar) के हेड हैं. बैस बिजनेस स्कूल से ही पढ़ने वाले नेविल की पत्नी मानसी टोयोटो किर्लोस्कर ग्रुप की बेटी हैं.