देश के पूरे विकास के लिए ज़रूरी है 60% रोज़गार : CMIE

| Updated: Feb 01, 2022, 10:57 AM IST

देश में तेजी के साथ बेरोजगारी बढ़ रही है जिसका असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है.

डीएनए हिंदी: भारत में बेरोजगारी लंबे अरसे से बड़ी समस्या रही है. आम जनजीवन में कठिनाई लाने के साथ-साथ यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ी मुश्किल है. अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण पक्षों में एक आमदनी और ख़र्च का संतुलन भी है. बेरोजगारी इसे बिगाड़ देती है और नतीजतन इकॉनोमी अपनी 100 फीसदी क्षमता से तरक्की नहीं कर पाती है. 

देश में बेरोजगारी की समस्या की वजह 

देश में बेरोजगारी की समस्या इतनी विकट क्यों है, इसका पता Centre for Monitoring Indian Economy यानी CMIE के आंकड़ों से आसानी से लगाया जा सकता है. इसके मुताबिक भारत में दिसंबर 2021 तक 5.3 करोड़ लोग बेरोजगार थे. इनमें साढ़े 3 करोड़ लोग ऐसे हैं जो सक्रियता से नौकरी खोज रहे हैं.  वहीं 1.7 करोड़ लोग काम तो करना चाहते हैं लेकिन नौकरी खोजने में पूरी तरह से गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं.  

रोजगार की इस समस्या के समाधान के लिए CMIE ने कुछ रास्ते बताए हैं.  यह कहती है कि देश में तुरंत 7.9 फीसदी लोगों को रोजगार देने की जरूरत है. यानी सक्रियता से नौकरी खोजने वाले साढ़े 3 करोड़ लोगों के रोजगार के लिए तुरंत इंतजाम करने की ज़रुरत है. 

साथ ही बड़ी चुनौती अतिरिक्त 1.7 करोड़ लोगों को नौकरी उपलब्ध करवाना भी है जो नौकरी मिलने पर काम करने को तैयार हैं. जानकारों का भी मानना है कि देश में खुशहाली लाने, देश को विकसित बनाने के लिए बेरोजगारी को दूर करना बेहद ज़रुरी है. 

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महिलाओं के लिए भी रोज़गार के अवसर हैं बेहद कम 

CMIE के मुताबिक दिसंबर 2021 में सक्रियता के साथ नौकरी खोज रहे साढ़े 3 करोड़ लोगों में 80 लाख महिलाएं भी शामिल थीं. 1.7 करोड़ बेरोजगारों में से 53 फीसदी या 90 लाख महिलाएं हैं जो काम तो करना चाहती हैं लेकिन सक्रिय रूप से रोजगार की खोजबीन नहीं कर रही हैं. जानकारों का मानना है कि नौकरियों की कमी के साथ साथ महिलाओं के साथ जुड़ी हुई सामाजिक बंदिशें भी उन्हें आगे बढ़ने से रोक लेती हैं.  कोरोना काल में दुनिया भर में महंगाई में इजाफा हुआ है और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है. 

बेरोजगारी पर वर्ल्ड बैंक का डाटा 

वर्ल्ड बैंक के मुताबिक 2020 में ग्लोबल रोजगार दर 55 फीसदी और 2019 में 58 फीसदी रहने का अनुमान था. आँकड़े के अनुसार भारत में यह विश्व सूचकांक से नीचे 43 फीसदी पर है. यह दर देश के विकास में बाधक साबित हो सकती है. CMIE के मुताबिक भारत की संपन्नता का रास्ता 60 फीसदी आबादी के लिए रोजगार की खोज से गुजरता है.

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