डीएनए हिंदी: हाल ही में SBI Research ने Special Report on Agriculture रिपोर्ट जारी की है. इसके एक हिस्से में किसानों की ऋणमाफी योजना की पड़ताल भी गई है. रिपोर्ट में ऋण माफी योजनाओं (Agriculture Loan Waiver) को सेल्फ गोल बताया गया है. देश में ऋणमाफी के लिए पात्र 73 प्रतिशत किसानों का अकाउंट स्टैंडर्ड है.
2.54 लाख करोड़ की ऋण माफी
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India) की रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में अलग अलग राज्यों में 2014-2020 के बीच 6 सालों में 2.54 लाख करोड़ के ऋणमाफी की घोषणा की गई. इन योजनाओं में पात्र किसानों की संख्या 3.68 करोड़ थी. हालांकि औसतन इनमें से 51 प्रतिशत किसानों को ही कर्ज माफी का लाभ मिल पाया.
पात्र किसानों में से आधों को ही मिला लाभ
देश का सबसे बड़ा किसान कर्ज माफी योजना महाराष्ट्र ने साल 2020 में की थी जिसमें कुल पात्र किसानों में से 91 प्रतिशत किसानों को लाभ मिला. वहीं तेंलगाना में 2014 की कर्जमाफी के दौरान सिर्फ 5 प्रतिशत पात्र किसानों के ही ऋण माफ हुए.
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साल 2018 में छत्तीसगढ़, पंजाब और मध्यप्रदेश में की गई कर्ज माफी योजना में जहां छत्तीसगढ़ ने सभी 9 लाख पात्र किसानों को लाभ पहुंचाया. वहीं मध्य प्रदेश में 48 लाख पात्र लोगों में से सिर्फ 12 प्रतिशत किसानों के ही कर्ज (Agriculture loan waiver) माफ हुए. इसके अलावा पंजाब में घोषित 8 लाख पात्र किसानों में से महज 24 फीसदी को ही लाभ मिला.
हर चार में से 3 खाते स्टैन्डर्ड, तो किसको लाभ ?
SBI रिसर्च रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि इन योजनाओं में जिन किसानों को पात्र (Kisan Vikas Patra)बनाया गया उनमें से अधिकतर के बैंक खाते स्टैन्डर्ड थे. रिसर्च में बताए गए 3 करोड़ पात्र किसानों में से करीब 73 प्रतिशत में लेन देन सुचारु रुप से चल रहा था. झारखंड (2020) में तो शत-प्रतिशत पात्र किसानों के खाते स्टैन्डर्ड हैं. वही सूची में दूसरा नाम उत्तर प्रदेश (2017) का है जहां 96 प्रतिशत पात्र किसानों के खाते सुचारु रुप से चल रहे थे. इसके अलावा आंध्र प्रदेश (2014) में भी 95 प्रतिशत बैंक खाते स्टैडर्ड थे.
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