डीएनए हिंदी: ब्रिटिश कोर्ट में खुद को दिवालिया घोषित करने वाले कारोबारी अनिल अंबानी (Anil Ambani) पर टैक्स डिपार्टमेंट ने 800 करोड़ रुपये की अघोषित ऑफशोर संपत्तियों (Offshore Assets) और निवेश के होने का बड़ा आरोप लगाया गया है. जिसके बाद अनिल अंबानी की मुश्किलों में और भी इजाफा हो सकता है. दो साल पहले अनिल अंबानी ने कहा था कि उनके पास जीरो नेटवर्थ है. ऐसे में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) की ओर से लगा आरोप अनिल अंबानी को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है.
ऑफशोर असेट्स का आरोप
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अघोषित ऑफशोर संपत्ति और निवेश का पता लगाने का आरोप लगाते हुए, आयकर जांच शाखा की मुंबई यूनिट ने मार्च 2022 में रिलायंस (एडीए) ग्रुप के अध्यक्ष अनिल अंबानी के खिलाफ 2015 काला धन अधिनियम (बीएमए) के तहत एक अंतिम आदेश पारित किया. जिसमें कई अघोषित ऑफशोर असेट्स होने का आरोों के बाद कारोबारी को नोटिस भी जारी किया गया था. बाद में ब्लैक मनी अधिनियम का आदेश दायर किया गया था. अनिल अंबानी कासे पहला नोटिस करीब तीन साल पहले 2019 में जारी किया गया था.
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अनिल अंबानी का नहीं आया कोई बयान
जांच एजेंसी की ओर से जारी किए आदेश में ऑफशोर कंपनियों और लिंक किए गए बैंक अकाउंट्स में 800 करोड़ रुपये से ज्यादा के ट्रांजेक्शन की डिटेल लिस्टिड की गई है. अनिल अंबानी की ओर से इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. जानकारों की मानें तो बीएमए आदेश में जिन असेट्स की बात की गई है वे बहामास और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में स्थित अनिल अंबानी के लाभकारी स्वामित्व वाली दो कंपनियों का है.
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2 अरब रुपये से ज्यादा थे जिनेवा के अकाउंट में
2015 में स्विस लीक्स की जांच में अनिल अंबानी का भी नाम था. 1100 इंडियंस की लिस्ट जारी हुई थी, जिनका अकाउंट एचएसबीसी के जिनेवा ब्रांच में था. जानकारी के अनुसार 2006-07 में एचएसबीसी अकाउंट में उनका बैलैंस 2 अरब रुपये से ज्यादा था. आपको बता दें कि एक समय अनिल अंबानी दुनिया के टॉप 10 अरबपतियों में से एक थे, लेकिन जब से उनकीह टेलीकॉम कंपनी डूबी, उसके बाद से उनका बुरा समय शुरू हो गया. मौजूदा समय में उन पर लाखों करोड़ रुपए का कर्ज है. कई कंपनियों को बेचने की तैयारी की जा रही है.
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