डीएनए हिंदी: इंश्योरेंस हम सभी के लिए मुश्किल समय का सहारा माना जाता है. यही कारण है कि लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस का चलन बढ़ गया है. ऐसे में यदि अपना इंश्योरेंस क्लेम करना हो तो आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होगा. यदि क्लेम की प्रकिया सही नहीं हुई तो आपका इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट भी हो सकता है और कोरोनावायरस के इस दौर में कंपनियां एक छोटी सी गलती पर भी क्लेम रिजेक्ट कर रही हैं. इसे कैसे अंजाम देना है, ये आप इस रिपोर्ट से समझ सकते हैं.
यदि आपको इंश्योरेंस पॉलिसी को क्लेम करना चाहते हैं तो आपको समय का विशेष ध्यान रखना होगा. हर बीमा कंपनी का क्लेम के लिए एक तय समय होता है. अगर आप इस तय समय के भीतर क्लेम नहीं करते हैं तो आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है. ऐसे में जरूरी है कि घटना के तुरंत बाद बीमा लाभ के लिए दावा पेश करें. ज्यादातर बीमा कंपनी दावे के लिए घटना के 7 दिन से 30 दिन तक का समय ही पॉलिसी धारकों को देती हैं.
आम तौर पर हम जब भी इंश्योरेंस लेते हैं तो बीमा पॉलिसी खरीदते समय केवल एजेंट की बातों पर ही निर्भर रहते हैं और विश्वास भी कर लेते हैं. इशहम इस दौरान कंपनी के नियम और शर्तों को तो पढ़ते ही नहीं हैं. बीमा कंपनियां अपने नियम और शर्तों में कई बार ऐसी बातें शामिल करती हैं जिनके बारे में हम पता ही नहीं होता है. ऐसे में मुश्किल वक्त में अक्सर ये नियम और शर्तें ही क्लेम के आड़े आती हैं. इसलिए नियम और शर्तें अवश्य पढ़नी चाहिए.
खास बात ये भी है कि पॉलिसी की शर्तों के अलावा हम कई बार खुद से धोखा भी कर लेते हैं. हम हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय ज्यादा प्रीमियम से बचने के लिए अक्सर झूठ बोल देते हैं और पहले हुई बीमारियों की जानकारी नहीं देते हैं. इसके अलावा ज्यादातर लोग धुम्रपान और मद्यपान की जानकारी भी शेयर नहीं करते हैं. इन गलतियों की वजह से अक्सर क्लेम रिजेक्ट हो जाता है.
येश्रसभी वो महत्वपूर्ण बिंदु है जो कि किसी भी इंश्योरेंस क्लेम के लिए आवश्यक हैं और इन्हें अपनाकर लिए गए इंश्योरेंस और उसके क्लेम में कोई परेशानी नहीं होगी.