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डीएनए हिंदी: यह वो वक्त है जब पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) से लेकर खाने के तेल (Edible Oil) और सब्जियों की कीमतें लोगों को झटका दे रही हैं. वहीं रूस-यू्क्रेन युद्ध इस महंगाई में दोहरी मार का संकेत दे रहा है. ऐसे में नया झटका केंद्रीय GST काउंसिल द्वारा लग सकता है क्योंकि काउंसिल कई उत्पादों पर से GST की छूट को हटा सकता है और इतना ही नहीं बल्कि न्यूनतम टैक्स की दर को 5 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी किया जा सकता है.
दरअसल, खबरें हैं कि जीएसटी काउंसिल (GST Council) की होने वाली अगली बैठक में सबसे कम टैक्स स्लैब को 5 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी किया जा सकता है. इसके साथ ही जीएसटी व्यवस्था में छूट की सूची को कम किया जा सकता है. इसको लेकर राज्यों के वित्त मंत्रियों की एक समिति इस महीने के अंत तक अपनी रिपोर्ट जीएसटी काउंसिल को सौंप सकती है. इसमें सरकार की कमाई यानी राजस्व बढ़ाने के लिए अलग-अलग कदमों का सुझाव दिया गया है.
हाल-फिलहाल की बात करें तो अभी जीएसटी के चार स्लैब हैं. 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी. लग्जरी उत्पादों पर सबसे ज्यादा टैक्स लगता है. लग्जरी और सिन गुड्स पर सबसे अधिक 28 फीसदी स्लैब के ऊपर सेस लगता है. इस सेस कलेक्शन का उपयोग जीएसटी के आने के बाद राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है.
वहीं अब जीएसटी काउंसिल न्यूनतम टैक्स स्लैब की दरों को बढ़ाने का सुझाव देकर आम आदमी के लिए मुसीबतों में इजाफा कर रहा है. जानकारी के मुताबिक जीएसटी परिषद की अगली बैठक में उन वस्तुओं की संख्या को कम करने का भी प्रस्ताव किया जा सकता है, जिन्हें जीएसटी से छूट दी गई है. इस समय अनपैक्ड, अनब्रांडेड खाद्य और डेयरी वस्तुओं को जीएसटी से छूट दी गई है.
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सूत्रों के मुताबिक जीएसटी की सबसे निचली दर को 5 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी करने से सरकार को अतिरिक्त 1.50 लाख करोड़ रुपये का सालाना राजस्व मिल सकता है. एक फीसदी की बढ़ोतरी से सालाना 50,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हो सकता है. इस स्लैब में मुख्य रूप से पैकेज्ड खाद्य पदार्थ शामिल हैं.
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