DIGITAL RUPEE से कम होगा करंसी प्रिंट करने का खर्चा, जानिए कितने हजार करोड़ रुपये की होगी बचत

अभिषेक सांख्यायन | Updated:Nov 01, 2022, 05:58 PM IST

Digital Currency

Digital Currency: भारत में 1 नवंबर से डिजिटल रुपये की पायलट टेस्टिंग शुरू हो गई है. अगर यह सफल हो जाता है तो हजारों करोड़ रुपये के नुकसान से बच जाएंगे.

डीएनए हिंदी: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक नवंबर से डिजिटल रुपया (Digital Currency) की पायलट टेस्टिंग शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि करेंसी को प्रिंट,डिस्ट्रीब्यूट और सहेजने की लागत में भी कमी आएगी. RBI की रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में 997 करोड़ के नोट खराब हो गए थे. वहीं करेंसी छापने में ही पिछले 10 सालों में 44,000 करोड़ रुपये खर्च हुआ है.  

10 सालों में नोट छापने में 44,000 करोड़ रुपये खर्च  

देश में कितनी करेंसी रखनी है इसका निर्णय भी RBI ही करता है. हजारों करोड़ रुपये के नोट छापने में भी करोड़ों खर्च होते हैं. 10 साल पहले साल 2012-13 में नोट छापने में 2,872 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. वहीं पिछले साल 2021-22 में ये खर्च बढ़कर 4,984 करोड़ हो गया है. वहीं नोटबंदी (Demonetisation) वाले साल 2017-18 में नोट छापने का खर्च 7,965 करोड़ रुपये हो गया था.  

10 रुपये और 50 रुपये के नोटों का जीवन सबसे कम  

नोटों को जल्दी घिसकर पुराने हो जाने की समस्या से निपटने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक कमिटी बनाई थी. इस कमिटी की रिपोर्ट में अलग-अलग नोटों के जीवन काल के बारे में भी बताया था.  

रिपोर्ट में बताया गया था कि 10 रुपये और 50 रुपये के नोटों के ज्यादा इस्तेमाल होने के कारण इनका जीवन काल सबसे कम होता है.  

कमिटी के अनुसार 10 रुपये और 50 रुपये के नोट महज 2.6 साल चलते हैं. वहीं 20 रुपये और 100 रुपये के नोट 3.6 साल तक चल जाता है.  वहीं 500 और 1,000  के नोट की जिंदगी 4.6 साल है.  

साल 2021 में 1.75 लाख करोड़ की कीमत के नोट नष्ट  

हर साल लाखों करोड़ रुपये के नोट मैले कुचले और फटे नोट RBI के पास वापिस आ जाते हैं. साल 2021 में भी 99,702 लाख से ज्यादा नोट का निपटान किया गया. करेंसी वार अगर इनकी आंके तो इनका कुल मूल्य 1.75 लाख करोड़ से ज्यादा का हो जाता है.   

संख्या के मामले में इनमें सबसे ज्यादा 100 रुपये की कीमत के 424 करोड़ से ज्यादा नोट वापिस हुए. 10 रुपये की कीमत के 219 करोड़ नोट वापिस RBI पहुंचे. 

वहीं कुल मूल्य की बात करें तो 90,000 करोड़ से ज्यादा की कीमत के 2,000 रुपये के नोट वापिस हुए थे. वहीं 29,545 करोड़ से ज्यादा की राशि 500 रुपये के नोटों के रुप में थी.  

होलसेल ट्रासेंक्शन में होगा डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल

फिलहाल इसका इस्तेमाल सेकेंडरी मार्केट यानी होलसेल ट्रासेंक्शन के लिए किया जाएगा. इसके अलावा RBI ने डिजिटल करेंसी को दो कैटेगरी- CBDC-W और CBDC-R में बांटा है. CBDC-W को होलसेल करेंसी के तौर पर इस्तेमाल होगी, वहीं CBDC-R को रिटेल करेंसी के तौर पर उपयोग किया जा सकेगा. रिटेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल सभी प्राइवेट, नॉन-फाइनेंशियल कंज्यूमर्स और बिजनेस के लिए होगा. RBI ने बताया है कि डिजिटल रुपये की वजह से भारत की डिजिटल इकोनॉमी में इजाफा होगा. 

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