Russia-Ukraine War के कारण आयात बिल बढ़ा सकता है Crude Oil, महंगाई की पड़ेगी बुरी मार!

| Updated: Feb 28, 2022, 03:11 PM IST

कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से भारत में आयात का खर्च बढ़ सकता है जो कि आम जनता पर महंगाई की दोहरी मार साबित होगा.

डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine War) के बीच पिछले चार दिनों से भीषण युद्ध जारी है. ऐसे में इन दोनों देशों के अलावा वैश्विक बाजारों (Global Market) में अन्य देशों को भी एक बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं भारत में भी इससे महंगाई बढ़ने एक आसार हैं क्यों लगातार बढ़ रहीं कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतें भारत के बजट को बिगाड़ सकती है जिसका असर भारत के आयात व्यय (Import Bill) पर भी पड़ेगा और यह देश में महंगाई बढ़ा सकता है.

100 डॉलर के पार कच्चे तेल की कीमत

दरअसल,रूस और यूक्रेन के युद्ध के कारण कच्चा तेल अब भी 100 डॉलर के पार चल रहा है. क्रूड ऑयल (Crude Oil) में तेजी से न सिर्फ महंगाई बढ़ेगी बल्कि इससे देश का आयात बिल भी बढ़ सकता है. ऐसे में संभावनाएं हैं कि भारत का कच्चे तेल का आयात बिल 2021-22 में 100 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है. यह पिछले वित्त वर्ष में कच्चे तेल के आयात पर हुए खर्च का लगभग दोगुना होगा जो कि देश पर बड़ा आर्थिक दबाव डालेगा. 

गौरतलब है कि युद्ध के कारण फरवरी में कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गईं हैं. ऐसे में अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक भारत का तेल आयात बिल दोगुना होकर 110 से 115 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा. भारत अपने कच्चे तेल की 85 फीसदी जरूरत को आयात से पूरा करता है और यही निर्भरता भारत को आर्थिक मुसीबत में डाल सकती है. 

दोगुना हो सकता है आयात बिल

पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना से जुड़ी एक रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 के पहले 10 माह (अप्रैल-जनवरी) में भारत ने कच्चे तेल के आयात पर 94.3 अरब डॉलर खर्च किए हैं. वहीं सिर्फ जनवरी में कच्चे तेल के आयात पर 11.6 अरब डॉलर खर्च हुए हैं. पिछले साल जनवरी में 7.7 अरब डॉलर खर्च किए थे और अब फरवरी में आग उगल रहीं कच्चे तेल की कीमतें भारत के तेल आयात बिल को दोगुना कर सकती हैं. 

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गौरतलब है कि पश्चिमी देशों द्वारा लगातार रूस पर दबाव डाला जा रहा है जिससे यह उम्मीद है कि 105 डॉलर प्रति बैरल तक गया कच्चे तेल का दाम फिर से नीचे आ सकता है लेकिन इसकी संभावनाएं फिलहाल काफी कम ही हैं.

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