नोटबंदी में बंद 500 और 1,000 रुपये के नोट को बदलने का फिर मिलेगा मौका? सुप्रीम कोर्ट दे सकता है आदेश

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Nov 26, 2022, 07:46 AM IST

demonetisation

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या नोटबंदी के दौरान 500-1000 रुपये के नोट को अमान्य करार देने से पहले RBI के केंद्रीय बोर्ड से परामर्श किया था?

डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को केंद्र सरकार द्वारा 8 नवंबर 2016 को लिए गए नोटबंदी (Demonetisation) के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने केंद्र  से यह बताने के लिए कहा कि क्या उसने 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के मूल्यवर्ग के नोट को अमान्य करार देने से पहले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के केंद्रीय बोर्ड से परामर्श किया था. जस्टिस एसए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने साथ यह भी संकेत दिए कि पुराने नोटों को बदलने के लिए एक व्यवस्था पर विचार किया जाएगा. संविधान पीठ अब इस मामले में 5 दिसंबर को सुनवाई करेगी.

जस्टिस एसए नजीर की अध्यक्षता वाली पीठ नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. पीठ में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रमासुब्रमण्यन शामिल हैं. बेंच ने कहा, "आपने यह दलील दी है कि उद्देश्य पूरा हो चुका है. लेकिन हम इस आरोप का समाधान चाहते हैं कि अपनाई गई प्रक्रिया ‘त्रुटिपूर्ण’ थी. आप केवल यह साबित करें कि प्रक्रिया का पालन किया गया था या नहीं.’ कोर्ट की यह टिप्पणी उस वक्त आई जब वेंकटरमणि ने नोटबंदी नीति का बचाव किया और कहा कि अदालत को कार्यकारी निर्णय की न्यायिक समीक्षा करने से बचना चाहिए.

ये भी पढ़ें- Unemployment Rate: सितम्बर तिमाही में बेरोजगारी दर घटी, इतने लोगों को मिला रोजगार

वेंकटरमणि ने कहा, "यह अच्छी तरह से स्थापित है कि अगर जांच की प्रासंगिकता गायब हो जाती है तो अदालत शैक्षणिक मूल्यों के सवालों पर राय नहीं देगी.नोटबंदी एक अलग आर्थिक नीति नहीं थी. यह एक जटिल मौद्रिक नीति थी. इस मामले में पूरी तरह से अलग-अलग विचार होंगे. आरबीआई की भूमिका विकसित हुई है. हमारा ध्यान यहां-वहां के कुछ ब्लैक मनी या नकली मुद्रा पर नहीं है. हम बड़ी तस्वीर देखने की कोशिश कर रहे हैं.’

इस पर जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि नोटबंदी का विरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं का तर्क मुद्रा के संबंध में की जाने वाली हर चीज को लेकर है. गवई ने टिप्पणी की कि यह RBI का प्राथमिक कर्तव्य है और इसलिए आरबीआई अधिनियम की धारा 26(2) का (मुकम्मल) पालन होना चाहिए था. इस विवाद के साथ कोई विवाद नहीं है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति निर्धारित करने में प्राथमिक भूमिका है. 

ये भी पढ़ें- Toyota ने पेश की नई इनोवा हाइक्रॉस, जानिए कब और किस कीमत पर लॉन्च होगी हाईब्रिड कार

नोटबंदी से पहले ही छप गए थे 500 के नोट
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने दावा किया कि नये डिजाइन के 500 रुपये के नोट RBI के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश से काफी पहले छापे जा रहे थे. आरटीआई कार्यकर्ता मनोरंजन रॉय द्वारा दायर याचिका में 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट को बंद करने की नीति की घोषणा के संबंध में अधिकारियों के आचरण की एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा समयबद्ध, अदालत की निगरानी में जांच शुरू करने के निर्देश का अनुरोध किया गया था. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने एक अप्रैल, 2000 और 31 मार्च, 2018 के बीच आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में दी गई जानकारी और डेटा का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है.

'मेरे पास पुराने 500-1000 के नोट,इनका क्या करें'
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिकाकर्ता ने दलील दी कि सरकार ने अचानक नोटबंदी का फैसला किया है. उस दौरान मैं विदेश में था. मेरे पास एक करोड़ रुपये से ज्यादा के पुराने 500 और 1000 के नोट रखे हैं, उनका मैं क्या करूं? सरकार ने कहा था कि मार्च के अंत तक पुराने नोट बदले जा सकेंगे. लेकिन विंडो मार्च से पहले बंद हो चुकी थी. इस पर कोर्ट ने कहा, आप उन्हें संभाल कर रखिए.  (PTI इनपुट के साथ)

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.