डीएनए हिंदी: भारतीय रुपये में लगातार डॉलर के मुकाबले गिरावट दर्ज की जा रही है. वहीं पाकिस्तानी रुपया (PKR) अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 200 को पार कर गया है और अब तक के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. हालांकी इंटरबैंक बाजार में गुरुवार को PKR 197.61 पर कारोबार कर रहा था.
बुधवार को PKR डॉलर के मुकाबले लगभग 198.39 डॉलर तक कमजोर हो गया था. इसपर केंद्रीय बैंक ने कहा, यह एक ऐतिहासिक गिरावट है यानी पिछले एक साल में यह अपने मूल्य का लगभग एक चौथाई खो देगा. वहीं जियो टीवी (Geo TV) ने बताया कि नौ कारोबारी दिनों में पीकेआर को 12.7 या 6.83 फीसदी का नुकसान हुआ है. पीकेआर (PKR) भारतीय रुपये के मुकाबले 2.2664, यूरो के मुकाबले 206 और पाउंड स्टर्लिंग के मुकाबले 244 पर था.
पाकिस्तानी रुपया क्यों गिर रहा है?
पाकिस्तान में आयातकों (Importers) ने डॉलर खरीदना जारी रखा, इस डर से कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ऋण कार्यक्रम को फिर से शुरू नहीं करेगा. पाकिस्तानी रुपये के अवमूल्यन (depreciation of the Pakistani rupee) का एक अन्य कारण डिफॉल्ट का जोखिम भी है.
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क्या होता है अवमूल्यन (depreciation)?
मुद्रा के मूल्य में गिरावट आने को मुद्रा का अवमूल्यन कहते हैं . बता दें कि आजादी के बाद भारतीय रुपये का तीन बार अवमूल्यन हुआ है. 1947 में विनिमय दर 1USD = 1INR था जबकि आज के समय में एक अमेरिकी डॉलर के लिए 77 रुपये खर्च करने होंगे. मालूम हो कि मुद्रा अवमूल्यन से देश की निर्यात गतिविधि पर असर पड़ता है. इससे विदेश से वस्तुवों की कीमत बढ़ जाती है जबकि विदेशी व्यापारियों के लिए देश की वस्तुएं खरीदनी सस्ती हो जाती हैं.
पाकिस्तान को फिर से IMF लोन प्रोग्राम शुरू करने की जरुरत
एक्सपर्ट्स ने कहा कि पाकिस्तान को विदेशी ऋण चुकौती और आयात भुगतान सहित अंतर्राष्ट्रीय भुगतानों पर चूक के जोखिम से बचने के लिए आईएमएफ के ऋण कार्यक्रम (IMF's loan programme) को फिर से शुरू करने की सख्त जरूरत है. पाकिस्तान ने बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ लंबे समय से चली आ रही बातचीत शुरू की. इस बातचीत में दक्षिण एशियाई देश की बदहाल अर्थव्यवस्था को संभालने में मदद करने के लिए 2019 सहमत 6 बिलियन डॉलर के बचाव पैकेज से ज्यादा धनराशि जारी करने की मांग की गई.
पाकिस्तान ने पहले ही आईएमएफ से अपने 6 बिलियन डॉलर के कार्यक्रम का साइज और अवधि बढ़ाने के लिए कहा है. पाकिस्तान का कहना है कि अगर लोन थोड़ा ज्यादा और अधिक समय के लिए मिल जाएगा तो वह बढ़ते चालू खाते के घाटे, बढ़ती मुद्रास्फीति (Inflation) और गिरवी मुद्रा को संभल लेंगे.दरअसल पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 10.3 बिलियन डॉलर ही बचा है.
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