डीएनए हिंदी: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office) के एडवांस एस्टीमेट के मुताबिक, कृषि, खनन और विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में वृद्धि से समर्थित, भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) चालू वित्त वर्ष यानी कि 2021-22 में 9.2% बढ़ने का अनुमान है. हालांकि यह रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) द्वारा पिछले महीने किए गए 9.5% के मुताबिक 30 बेसिस पॉइंट से कम है. बहरहाल पिछले 17 सालों के रिकॉर्ड को देखा जाए तो यह अब तक का उच्चतम विकास दर है. बजट खर्चे के मोर्चे पर देखें तो ग्रॉस फिक्सड कैपिटल फ़ॉर्मेशन (Gross Fixed Capital Formation) के 2022 में सालाना आधार पर इसमें 15% वृद्धि की उम्मीद है.
खपत खर्च दर
सरकार के अंतिम खपत खर्च और निजी खपत खर्च की बात की जाए तो यह दर क्रमश: 7.6% और 6.9% पर है. वर्ष 2021 में ग्रॉस फिक्सड कैपिटल फ़ॉर्मेशन (Gross Fixed Capital Formation) और प्राइवेट फाइनल कंज्मशन एक्सपेंडिचर (private final consumption expenditure) में क्रमश: 10.8% और 9.1% का कॉन्ट्रैकशन देखने को मिला था. वहीं गर्वमेंट फाइनल कंज्मशन एक्सपेंडिचर (Government Final Consumption Expenditure) में 2.9% की तेजी देखने को मिली. हालांकि 2020 के मुकाबले 2022 का जीडीपी ग्रोथ रेट (GDP) सिर्फ 1.3% ज्यादा है. सरकार ने इकोनॉमी को बूस्ट देने के लिए जितने भी प्रयास किए हैं उसका असर इसके फाइनल कंज्मशन एक्सपेंडिचर (Final Consumption Expenditure) आंकड़ों में देखने को मिला है. यह वित्त वर्ष 2020 के मुकाबले 10.7% ज्यादा है. हालांकि निजी सेक्टर्स के किए जाने वाले निवेश काफी कम रहे हैं जो 2020 की तुलना में 2.9 फीसदी कम हैं.
इकोनॉमी में डिमांड की स्थिति
बहरहाल इकोनॉमी में डिमांड की स्थिति कमजोर बनी हुई है जिसे देखते हुए RBI ने अपनी नीतियों के ग्रोथ को पुश देने के लिए लंबे समय तक अनुग्राही रख सकता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि बढ़ती महंगाई की वजह से मौद्रिक नीतियों में कड़ाई और इंटरेस्ट रेट में वृद्धि हो सकती है. बहरहाल RBI ने अभी तक इसपर कुछ भी नहीं कहा है.