Good News: Electric Vehicles की चार्जिंग के लिए घरेलू टैरिफ लागू होगा, जानिए सरकार के नए दिशानिर्देश

| Updated: Jan 16, 2022, 05:37 PM IST

अब आप घर पर ही Electric Vehicles की चार्जिंग कर सकते हैं. इसके लिए किसी भी सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन पर जाने की जरूरत नहीं होगी.

डीएनए हिंदी: सरकार ने शनिवार को चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए दिशा निर्देश और मानक जारी कर दिए. नए मानकों के अनुसार मालिक अपने मौजूदा बिजली कनेक्शन का उपयोग करके अपने घर या ऑफिस में अपने इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज कर सकते हैं. ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार संशोधित, समेकित दिशा निर्देश जारी किए गए हैं, जिसका उद्देश्य सुरक्षित, भरोसेमंद, सुलभ और किफायती चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और इको-सिस्टम सुनिश्चित करके भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने में सक्षम बनाना है.

चार्जिंग स्टेशन के लिए जरूरी नहीं लाइसेंस

इलेक्ट्रिक व्हीकल को प्रमोट करने के लिए केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं. इन नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक अब कोई भी व्यक्ति/संस्था बिना लाइसेंस के सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन (Public Charging Station) स्थापित कर सकेंगे. बस इसके लिए तय तकनीकी, सुरक्षा के साथ-साथ प्रदर्शन मानकों और प्रोटोकॉल का पूरा पालन सुनिश्चित करने की जरूरत होगी. यानी अब कोई भी अपने इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) की चार्जिंग घर पर ही कर सकेगा.  

चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर चरणबद्ध तरीके से रोलआउट होगा

सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बैटरी चार्जिंग स्टेशन (बीसीएस) के लिए समान टैरिफ लागू होगा. घरेलू खपत के लिए लागू टैरिफ घरेलू चार्जिंग के लिए लागू होगा. ईवी पब्लिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (EV Public Charging Infrastructure) को चरणबध्द तरीके से रोल आउट किया जाएगा. 

पहला चरण, एक से तीन वर्ष

2011 की जनगणना के मुताबिक 4 मिलियन से अधिक की आबादी वाले सभी मेगा शहरों, इन मेगा शहरों से जुड़े सभी मौजूदा एक्सप्रेसवे और महत्वपूर्ण राजमार्गों को कवरेज के लिए लिया जा सकता है. इन मेगा शहरों और मौजूदा कनेक्टेड एक्सप्रेसवे की सूची तैयार की गई है. 

दूसरा चरण, तीन से पांच वर्ष

राज्यों की राजधानियों, केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यालय जैसे बड़े शहरों को भी वितरित और प्रदर्शनकारी प्रभाव के लिए कवर किया जा सकता है. इसके अलावा, इन मेगा शहरों में से प्रत्येक से जुड़े महत्वपूर्ण राजमार्गों को कवरेज के लिए लिया जा सकता है.

 क्या है रेवन्यू शेयरिंग मॉडल?

सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन के लिए गाइडलाइंस की एक विस्तृत लिस्ट तैयार की गई है. इसमें नागरिक, बिजली और सुरक्षा जरूरतों के लिए "उपयुक्त" इंफ्रा के मानक भी शामिल हैं. निर्देशों के मुताबिक इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रमोट करने के लिए चार्जिंग स्टेशन को सक्षम बनाने की चुनौती का समाधान करने के लिए, उपयोग की गई भूमि के लिए एक रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल बनाया गया है. 


ईवी से जुड़ी जरूरी बातें

- सरकारी जमीन का इस्तेमाल सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों को लगाने के लिए होगा 
- रेवन्यू- शेयरिंग के आधार पर 1 रुपये/kWh की दर तय 
- तिमाही आधार पर भूमि-स्वामित्व वाली एजेंसी को भुगतान किया जाएगा 
- 10 साल की अवधि के लिए कॉन्ट्रेक्ट होगा 
- आवेदन पर जल्द मुहैया कराया जाएगा बिजली कनेक्शन
- पीसीएस को मेट्रो शहरों में सात दिन में बिजली कनेक्शन
- अन्य नगर निगम क्षेत्रों में पंद्रह दिन में बिजली कनेक्शन
- ग्रामीण क्षेत्रों में तीस दिन के भीतर कनेक्शन प्रदान किया जाएगा
- इस अवधि के भीतर, वितरण एजेंसियां एक नया कनेक्शन देंगी YB मौजूदा कनेक्शन को संशोधित करेंगी 
- पब्लिक ईवी चार्जिंग स्टेशन को बिजली की आपूर्ति के लिए सिंगल पार्ट टैरिफ होगा 
- 31 मार्च 2025 तक "आपूर्ति की औसत लागत" से अधिक नहीं होगा
- राज्य सरकारें तय करेंगी सेवा शुल्क 

चूंकि बिजली रियायती दर पर उपलब्ध कराई जा रही है और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि पीसीएस स्थापित करने के लिए कई मामलों में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा सब्सिडी प्रदान की जा रही है, राज्य सरकार ऐसे चार्जिंग स्टेशनों द्वारा चार्ज किए जाने वाले सेवा शुल्क की सीमा तय करेगी. 

इनपुट: अम्बरीश पांडे