GDP: मूडीज की 2022 के लिए भारत के आर्थिक विकास पर रिपोर्ट, जानिए देश की तरक्की में आई कितनी गिरावट

नेहा दुबे | Updated:Nov 11, 2022, 05:44 PM IST

India GDP

Moody's ने 2022 के लिए भारत के आर्थिक विकास के अनुमान को 7.7 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया है.

डीएनए हिंदी: Moody's ने 2022 के लिए भारत के आर्थिक विकास (India's Economic Growth) के अनुमान को 7.7 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया है. कयास लगाया जा रहा है कि वैश्विक मंदी और बढ़ती घरेलू ब्याज दरें आर्थिक गति को कम कर देंगी. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने अब भारत के विकास के अपने अनुमानों को दूसरी बार घटा दिया है. सितंबर में, इसने चालू वर्ष के लिए अपने अनुमानों को मई में 8.8 प्रतिशत से घटाकर 7.7 प्रतिशत कर दिया था.

एजेंसी ने अपने ग्लोबल मैक्रो आउटलुक 2023-24 में कहा, "भारत के लिए, 2022 के वास्तविक जीडीपी विकास अनुमानों को 7.7 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है. नीचे की ओर संशोधन उच्च मुद्रास्फीति, उच्च ब्याज दरों और धीमी वैश्विक विकास को मानता है, जो पहले की अपेक्षा से अधिक आर्थिक गति को कम कर देगा." 

मूडीज के मुताबिक 2023 में विकास दर और धीमी होकर 4.8 प्रतिशत हो जाएगी और फिर 2024 में लगभग 6.4 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी. भारत 2021-22 के वित्तीय वर्ष (अप्रैल 2021 से मार्च 2022) में 8.7 प्रतिशत की दर से बढ़ा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि लगातार मुद्रास्फीति (Inflation), सख्त मौद्रिक नीति (Monetary Policy), राजकोषीय मुद्दों (Fiscal Issues), भू-राजनीतिक विकास (Geopolitical Developments) और वित्तीय बाजार की अस्थिरता (Financial Market Volatility) के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के कगार पर है.

मूडीज के मुताबिक 2023 वैश्विक विकास में मंदी देखने को मिलेगा जो कि 2024 तक जारी रहेगा. फिर भी, अगर सरकारें और केंद्रीय बैंक मौजूदा कठिनाइयों के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्थाओं का मार्गदर्शन करने में सक्षम रहीं तो 2024 तक सापेक्ष स्थिरता की अवधि भौतिक हो सकती है.

यह इस वर्ष के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (India's Gross Domestic Product) वृद्धि पूर्वानुमानों में हालिया कटौती की एक सीरीज का अनुसरण करता है. दरअसल, पिछले महीने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 2022 में भारत के आर्थिक विकास के अपने अनुमान को 7.4 प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया, क्योंकि यह अन्य वैश्विक एजेंसियों के साथ अपने पूर्वानुमानों को कम करने में शामिल हो गया था. फिर भी, कटौती के बावजूद, भारत दुनिया की सबसे बड़ी बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है.

हालांकि बिगड़ते इकॉनोमी को और कम किया जा सकता है क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी आने वाले महीनों में और गिरावट की संभावना को बढ़ा देती है. विकास के दृष्टिकोण में हालिया गिरावट भारत तक सीमित नहीं है; वैश्विक अर्थव्यवस्था और अन्य प्रमुख देशों के लिए भी भविष्यवाणियां घटा दी गई हैं, कुछ प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में एकमुश्त मंदी की उम्मीद है.

जिस समय विश्व अर्थव्यवस्था महामारी के कारण हुए व्यवधानों से उबर रही थी, यूरोप ने वैश्विक मुद्रास्फीति को बढ़ा दिया और परिणामस्वरूप प्रत्येक प्रमुख केंद्रीय बैंक ने आक्रामक दर वृद्धि नीति अपनाई. दुनिया भर में बढ़ी हुई मुद्रास्फीति से उच्च उधारी लागत ने इस वर्ष आर्थिक गतिविधियों को और बाधित कर दिया है.

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