डीएनए हिंदी: देश में इंडस्ट्रियल क्रांति के जनक के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले घनश्याम दास बिड़ला (Ghanshyam Das Birla) की आज 29वीं पुण्यतिथि है. घनश्याम दास बिड़ला का जन्म राजस्थान के एक छोटे से जिले पिलानी में 10 अप्रैल 1894 को हुआ था. घनश्याम दास ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पिलानी से ली. उसके बाद अपने खानदानी व्यापार में सहयोग करने के लिए वह कोलकाता चले गए. उन्होंने जूट व्यापार में हाथ आजमाने के बाद वस्त्र निर्माण के क्षेत्र में हाथ आजमाया. बता दें कि सेंच्युरी और ग्रासिम (Grasim) उनकी सफलता के बड़े उदाहरणों में से एक हैं. इसके अलावा उन्होंने एल्यूमीनियम के क्षेत्र में कदम रखा. हिंडालको से लेकर हिंदुस्तान मोटर्स तक की उन्होंने देश विदेश ने अनेकों उद्योगों कि स्थापना की.
पद्म विभूषण से सम्मानित
साल 1957 में घनश्याम दास बिड़ला को भारत सरकार ने पद्म विभूषण से सम्मानित किया. मालूम हो कि घनश्याम दास बिड़ला भारत के सबसे बड़े इंडस्ट्रियल ग्रुप बी.के.एम. बिड़ला ग्रुप के फाउंडर थे. आज इसकी संपत्ति 195 अरब रुपये से ज्यादा है. घनश्याम दास ने अंग्रेजी के खिलाफ और भारत की आजादी के लिए अप्रत्यक्ष तौर पर लड़ाई में भाग लिया. वाह इस दौरान महात्मा गांधी के दोस्त, सलाहकार के रूप में भी पहचाने गए. साथ ही उन्होंने देश के कुछ उद्योगपतियों के साथ मिलकर 1927 में 'इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री' की स्थापना की.
शिक्षा को बढ़ावा दिया
वहीं शिक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्होंने साल 1929 में पिलानी में बिड़ला एजुकेशन ट्रस्ट की नींव रखी. इस दौरान इन्होने लगभग 400 से ज्यादा स्कूलों की स्थापना की जो बहुत बड़ी बात थी. मालूम हो कि भारत सरकार के अनुसंधान संस्थान इलेक्ट्रॉनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सिरी) की स्थापना करवाई. उनके इन सब कार्यों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया. 11 जून 1983 को उन्होंने अंतिम सांस ली.
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