डीएनए हिंदी: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की फस्र्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गीता गोपीनाथ ने बुधवार को कहा कि विकसित अर्थव्यवस्थाएं 2024 तक पटरी पर लौट आएंगी, लेकिन विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को जिस मुकाम पर होना चाहिए उससे वे पांच फीसदी पीछे रहेंगी। दुनियाभर की इकोनॉमीज कोरोना वायरस महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित हुईं और अब पुनरुद्धार के मार्ग पर धीरे-धीरे लौट रही हैं।
ग्लोबल ग्रोथ रेट में गंभीर गिरावट
वर्ल्ड इकोनॉमी फोरम की सालाना बैठक-2022 में 'वैश्विक वृद्धि के लिए अगले कदम' विषय पर आयोजित विशेष सत्र में गोपीनाथ ने कहा कि वैश्विक पुनरुद्धार को यूक्रेन में युद्ध के कारण बड़ा झटका लगा है। उन्होंने कहा कि हमें ग्लोबल ग्रोथ रेट में गंभीर गिरावट का सामना करना पड़ रहा है और दुनिया को लगातार विपरीत हालात से जूझना पड़ रहा है, क्योंकि जीवन-यापन का संकट हमारे सामने है। फ्यूल और भोजन समेत जिंसों की कीमतें दुनियाभर में बढ़ रही हैं।
इंफ्लेशन बड़ी समस्या
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक हाई इंफ्लेशन की समस्या से निपटने का प्रयास कर रहे हैं और इसके लिए उन्हें ब्याज दरों में तेज वृद्धि करना पड़ रही है लेकिन इसका भी ग्लोबल फाइनेंस और व्यापार पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। हाल में अमरीका मे महंगाई के आंकड़ें 40 साल के हाई पर हैं। वहीं दूसरी ओर भारत में थोक महंगाई भी 30 साल के उच्च स्तर पर है। भारत में भी अप्रैल की रिटेल महंगाई भी 8 साल की हाई पर देखने को मिली है।
पांच फीसदी पीछे रहेंगे विकासशील देश
गोपी नाथने कहा कि दुनियाभर में पुनरुद्धार भी विविध प्रकार का रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे अनुमान के मुताबिक विकसित अर्थव्यवस्थाएं 2024 में वहीं पहुंच जाएंगी जहां उन्हें महामारी नहीं होने की स्थिति में होना था, लेकिन उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को जिस मुकाम पर होना था उससे वे पांच फीसदी पीछे रहेंगी।
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