Bank Privatization: जल्द बिक सकते हैं ये सरकारी बैंक, सरकार ने कर ली है फुल तैयारी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Mar 28, 2022, 11:56 AM IST

Bank Privatization Update

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्राइवेटाइजेशन (bank privatization 2022) पर तेजी से काम किया जा रहा है. इंटर-मिनिस्ट्री परामर्श अपने अंतिम चरण में है.

डीएनए हिंदी: सरकारी बैंकों के प्राइवेट होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. खबरों के मुताबिक प्राइवेटाइजेशन सितंबर 2022 तक शुरू हो सकता है. सरकार बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन करके पीएसयू बैंकों (PSB) में विदेशी स्वामित्व पर 20% की सीमा को हटाने की तैयारी में है. बताया जा रहा है कि इसके लिए दो सरकारी बैंक शॉर्ट लिस्ट हो चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक संसद के चालू बजट सत्र में संशोधन पेश करने की तैयारी है लेकिन इस बड़े बदलावों के लिए कैबिनेट की मंजूरी में कुछ समय लग सकता है. संभावना है कि मानसून सत्र तक संशोधन हो सकता है. सरकार चाहती है कि सितंबर तक कम से कम एक बैंक का प्राइवेटाइजेशन सुनिश्चित करना है.

ये बैंक हो सकते हैं प्राइवेट!

सूत्रों के मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्राइवेटाइजेशन (bank privatization 2022) पर तेजी से काम किया जा रहा है. इंटर-मिनिस्ट्री परामर्श अपने अंतिम चरण में है. वहीं, विधायी प्रक्रिया पूरी होने के बाद, विनिवेश पर मंत्रियों का समूह निजीकरण के लिए बैंकों के नामों को फाइनल करेगा. इन सारी प्रक्रियाओं को जल्दी से जल्दी पूरा किया जाएगा ताकि अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में कम से कम एक बैंक का निजीकरण किया जा सके. 

गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष के लिए बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 22 में आईडीबीआई बैंक के साथ दो सरकारी बैंकों का निजीकरण की घोषणा की थी. प्राइवेटाइजेशन के लिए नीति आयोग (NITI Aayog) ने दो PSU बैंक को शॉर्टलिस्ट भी किया है. सीतारमण ने यह भी कहा था कि चालू वित्त वर्ष में एक बीमा कंपनी को बेचा जाएगा. सरकार दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण में शामिल किसी भी नियामक मुद्दे को दूर करने के लिए आईडीबीआई बैंक पर निवेशकों की प्रतिक्रिया का भी इंतजार कर रही है.

मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि निजीकरण के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक को संभावित उम्मीदवारों के रूप में चुना गया था. यानी  इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया दो उम्मीदवार हैं जिन्हें निजीकरण के पक्ष में किया गया है. हालांकि बैंक ऑफ महाराष्ट्र को भी अगले साल या बाद में प्राइवेटाइजेशन प्रक्रिया में लाया जा सकता है. 

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