डीएनए हिंदी: भारत सरकार और विश्व बैंक के बीच आज 115 मिलियन डॉलर का अहम करार हुआ है. इसके तहत वर्ल्ड बैंक की ओर से सरकार को यह राशि कर्ज के तौर पर दी गई है. इस धन का इस्तेमाल कृषि और वॉटरशेड परियोजनाओं को बेहतर बनाने के लिए किया जाएगा. रीजूवेनेटिंग वॉटरशेड फॉर एग्रीक्लचर रेजिलेंस थ्रू इनोवेटिव डेवलपमेंट (रिवॉर्ड) के अंतर्गत यह समझौता हुआ है.
क्या है रिवॉर्ड
जलवायु परिवर्तन की वजह से पिछले कुछ दशक में परंपरागत कृषि के तरीके चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. पारंपरिक पानी के स्रोत भी संकट के दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में वॉटरशेड या जलाशयों को उन्नत बनाना, उनके विकास और मरम्मत के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल करना जरूरी है. साथ ही कृषि के लिए भी उन तकनीकों का इस्तेमाल करना होगा. इन्हीं चुनौतियों से निपटने के लिए इस परियोजना की शुरुआत हुई है.
जलवायु परिवर्तन की वजह से दुनिया भर में असर
जलवायु परिवर्तन की वजह से कृषि संकट भारत ही नहीं एशिया के सभी देश झेल रहे हैं. विश्व भर में जलवायु संकट की चुनौतियां सामने आ रही हैं और उन्हें कम करने के लिए काम हो रहा है. भारत में जलवायु संकट का असर कृषि पर बहुत दिख रहा है. मिट्टी का कटना, सूखा, भूजल स्तर का नीचे जाना कुछ ऐसे कारण हैं जिनसे कृषि क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हुआ है.
कृषि क्षेत्र में सुधार पर सरकार कर रही फोकस
मोदी सरकार ने किसानों के लिए कई बड़ी योजनाएं शुरू की हैं. किसान फसल बीमा, किसानों के खाते में कैश ट्रांसफर, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनाएं इसी का नतीजा हैं. इसके अलावा, 3 कृषि कानूनों को भी सरकार ने भारी विरोध देखते हुए वापस ले लिया है. पीएम मोदी भी अपने हर भाषण में किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य पर जोर देते हैं.
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