डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे जंग का असर वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों पर देखने को मिला. इस दौरान ब्रेंट क्रूड ऑयल 139 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया था. हालांकि अब यह 110 डॉलर प्रति बैरल के नीचे बना हुआ है. बता दें कि क्रूड ऑयल की कीमतों में बदलाव का असर भारत के लिए काफी मायने रखता है. भारत अपनी जरूरत का लगभग 80 प्रतिशत कच्चा तेल रूस से इंपोर्ट करता है. बता दें कि क्रूड ऑयल का असर देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ता है. कयास लगाया जा रहा है कि सरकार क्रूड ऑयल की कीमतों पर जल्द ही बड़ा फैसला ले सकती है. सरकार रूस से सीधे तेल खरीदने और डॉलर की बजाय रुपये में पेमेंट करने पर फैसला ले सकती है. फिलहाल देश में पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ेंगे.
सरकार ने सदन में जानकारी दी कि रूस समेत अन्य देशों, स्रोतों से तेल खरीदने पर विचार किया जायेगा. सही समय पर ग्राहकों के हित में कदम उठाए जाएंगे.
रूस से तेल खरीदने को मंजूरी?
रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर सरकार बातचीत सकारात्मक दिशा में है. सरकार ने पेमेंट करने के लिए डॉलर की जगह रुपये का इस्तेमाल करने की बात कही है. लगभग 3.8 मिलियन बैरल तेल खरीदने की संभावना जताई जा रही है. रूसी तेल खरीदने के लिए इंश्योरेंस एक बड़ी चुनौती है. मौजूदा परिस्थितियों में कंपनियां इंश्योरेंस देने से हिचक रही हैं. हालांकि रूस इंश्योरेंस देने के लिए आश्वासन दे रहा है. रूस डिलीवरी तक की जिम्मेदारी के लिए तैयार है. इसमें सेंक्शंस का प्रभाव नहीं होगा क्योंकि किसी भी देश ने क्रूड पर पाबंदी नहीं लगाई है.
देश में क्या स्थिति है?
सरकार ने सदन में बताया कि कच्चे तेल की कीमतों पर नजर है. जल्द ही लोगों को राहत की उम्मीद जताई जा रही है. देश में फिलहाल पेट्रोल-डीजल के दाम में वृद्धि नहीं होगी. जहां तक ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) की स्ट्रेटजी की बात है तो पूरा मुनाफा ग्राहकों को देने की जगह वर्तमान समय में नुकसान की भरपाई करते हुए इन कंपनियों को मुनाफा दिया जाएगा.
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