डीएनए हिंदी: भारत दवा उद्योग में इस्तेमाल होने वाले चीनी रसायन पर डंपिंग रोधी शुल्क (Anti-Dumping Duty) नहीं लगाएगा. दरअसल वित्त मंत्रालय ने लेवी लगाने के लिए डीजीटीआर (DGTR) की सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया है। वाणिज्य मंत्रालय की जांच शाखा डीजीटीआर ने चीन से "(4R-Cis)-1-1-डाइमिथाइलथाइल (Dimethylethyl) -6-सायनोमिथाइल (Cyanomethyl)-2, 2-डाइमिथाइल (Dimethyl)-1, 3-डाइऑक्सेन(Dioxane)-4-एसीटेट" की कथित डंपिंग की जांच की थी और अगस्त में इसने शुल्क लगाने की सिफारिश की थी.
राजस्व विभाग के एक ज्ञापन में कहा गया है, "केंद्र सरकार ने नामित प्राधिकरण (DGTR) के अंतिम निष्कर्षों पर विचार करने के बाद ... सिफारिशों को स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है."
जबकि व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR) शुल्क की सिफारिश करता है और राजस्व विभाग इसे लागू करने का अंतिम निर्णय लेता है. इस रसायन को एटीएस -8 (ATS-8) के रूप में भी जाना जाता है, जो एटोरवास्टेटिन (Atorvastatin) सक्रिय फार्मास्युटिकल घटक के निर्माण के लिए एक प्रमुख कच्चा माल है. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की भाषा में, डंपिंग तब होती है जब कोई देश या फर्म अपने घरेलू बाजार में उस उत्पाद की कीमत से कम कीमत पर किसी वस्तु का निर्यात करता है.
डंपिंग आयात करने वाले देश में उस उत्पाद की कीमत को प्रभावित करती है जिससे मैन्युफैक्चरिंग फर्मों के मार्जिन और मुनाफे पर असर पड़ता है. वैश्विक व्यापार मानदंडों के अनुसार, एक देश को ऐसे डंप किए गए उत्पादों पर घरेलू निर्माताओं को समान अवसर प्रदान करने के लिए शुल्क लगाने की अनुमति है.
भारत में डीजीटीआर जैसे अर्ध-न्यायिक निकाय द्वारा गहन जांच के बाद ही शुल्क लगाया जाता है. शुल्क का उद्देश्य निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को सुनिश्चित करना और विदेशी उत्पादकों और निर्यातकों की तुलना में घरेलू उत्पादकों के लिए समान अवसर प्रदान करना है.
यह भी पढ़ें:
Canara Bank के ग्राहक ध्यान दें! बैंक इस सावधि जमा पर 7.71% तक का रिटर्न दे रहा
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.