सोने-चांदी में निवेश में भारतीयों की कम हो रही दिलचस्पी! क्या है लेटेस्ट Saving Trend?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 02, 2022, 01:30 PM IST

SBI की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक लोगों के सेविंग प्लान में बदलाव आया है. अब लोग सोने-चांदी की जगह दूसरे सेक्टर्स में निवेश करना सही समझ रहे हैं.

डीएनए हिंदी: भारत में निवेश करने के बहुआयामी तरीके हैं. पहले निवेशक सुरक्षित और भारी रिटर्न के लिए रियल एस्टेट और सोने-चांदी में निवेश करते थे. धीरे-धीरे निवेशकों का रुझान इस सेक्टर से कम होता जा रहा है.
वित्त वर्ष 2021 में सोना (Gold) और चांदी (Silver) के आभूषणों के सेविंग में गिरावट दर्ज की गई है.यह इस ओर सूचित करता है कि लोग अब फाइनेंशियल असेट्स के रूप में बचत का विकल्प चुन रहे हैं. SBI की रिपोर्ट के मुताबिक लोगों के बचत करने के व्यवहार में बदलाव देखा जा रहा है.

कितना बदला गोल्ड सेविंग 

लाइवमिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक NSO और SBI रिसर्च ने एक डाटा जारी किया है. यह डाटा बताता है कि कोरोना महामारी के दौरान 2020-21 में सोने और चांदी के ज्वेलरी के रूप में घरेलू बचत घटकर 38,444 करोड़ रुपये रह गई. 2019-20 में यह 43,136 करोड़ रुपये रही थी. वहीं 2018-19 में गोल्ड सेविंग (gold savings) घटकर 42,673 करोड़ रुपये रह गई थी, जो 2017-18 में 46,665 करोड़ रुपये थी.

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सेविंग के साथ कर्ज की मार 

एनएसओ डाटा (NSO data) से महामारी के दौरान घरेलू कर्ज (Household Debt) में बढ़ोतरी का पता चलता है. रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 21 में कुल फाइनेंसियल सेविंग्स (Financial savings) बढ़कर 7.1 लाख करोड़ रुपये हो गई. साथ ही कुल फाइनेंसियल लायबिलिटीज यानी देनदारियां भी 18,669 करोड़ रुपये बढ़ीं.

उपभोग करने के तरीके में बदलाव

कोरोना महामारी के दौरान उपभोग के तरीकों में जो बदलाव आया है उसका असर महंगाई पर पड़ रहा है. PFCE डाटा के एनालिसिस से पता चलता है कि इसमें लोगों के कंजमप्शन करने के तरीकों में बदलाव आया है. 

SBI रिपोर्ट का कहना है कि “वित्त वर्ष 21 में जहां फूड और नॉन अल्कोहोलिक ड्रिंक्स की खपत बढ़कर 3.5 लाख करोड़ रुपये हो गई, वहीं ट्रांसपोर्ट, क्लोदिंग, फुटवियर और ‘रेस्टोरेंट और होटल’ जैसी कैटेगरीज पर होने वाले खर्च में 6.1 लाख करोड़ रुपये की भारी गिरावट दर्ज की गई.”

सोमवार को जारी किए गए इकोनॉमिक सर्वे 2022 के मुताबिक, भारतीय कैपिटल मार्केट में ज्यादा पैसा लगा रहे हैं. इक्विटी कैश सेगमेंट में रिटेल इनवेस्टर्स बढ़ गए हैं और एनएसई पर अप्रैल-अक्टूबर 2021 के दौरान इंडिविजुअल इनवेस्टर्स का कुल टर्नओवर 39 प्रतिशत से बढ़कर 45प्रतिशत हो गया है.

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