Inflation Rate in India: बढ़ती महंगाई से जल्द नहीं मिलेगी राहत, जानिए क्यों?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 11, 2022, 03:39 PM IST

Inflation Rate in India: There will be no relief from rising inflation, know why?

खुदरा मुद्रास्फीति की संभावित दर अपने उच्च स्तर पर पहुंच गई है. यह 16 महीने में सर्वाधिक है. पढ़ें आरती राय की विशेष रिपोर्ट

डीएनए हिंदी: भारत की खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) की संभावित दर मार्च 2022 में 16 महीने के अपने उच्च स्तर 6.35 फीसदी तक पहुंच गई है. यह बात रॉयटर्स द्वारा जारी पोल रिपोर्ट में सामने आई है. इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक के Upper Tolerance Band की यह सबसे उच्चतम लेयर है. यह तीन महीने से बढ़ती खाद्य कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के कारण हो रही है. यह माना जा रहा है कि फरवरी के अंत में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद कच्चे तेल की कीमतों की भारी बढ़ोतरी की वजह से अप्रैल तक उपभोक्ता कीमतों गिरावट या राहत की उम्मीद नहीं है और आने वाले दिनों में महंगाई और बढ़ सकती है. 

रॉयटर्स के सर्वे के अनुसार 48 अर्थशास्त्रियों ने पोल में मुद्रास्फीति को लेकर जो सुझाव दिया है उसके मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (consumer price index) के इंडेक्स के मुताबिक मार्च में खुदरा महंगाई दर 6.07 फीसदी से बढ़कर 6.35 फीसदी हो गयी है. यह नवंबर 2020 के बाद अब तक की सबसे ज्यादा रीडिंग होगी.

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इस रिपोर्ट में यह पूर्वानुमान लगाया गया है कि 12 अप्रैल को  RBI जो डाटा जारी करेगा, वो 6.06 फीसदी और 6.50 फीसदी के बीच हो सकता है. यह महंगाई दर RBI के टॉलरेंस बैंड का शीर्ष होगा. एएनजेड के एक अर्थशास्त्री धीरज निम ने मासिक परिवर्तनों में मौसमी पैटर्न का जिक्र करते हुए कहा है कि  "हम उम्मीद करते हैं कि हेडलाइन मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 6.30 फीसदी हो जाएगी क्योंकि खाद्य कीमतों में क्रमिक रूप से फरवरी तक तीन महीने की गिरावट के बाद सर्वाधिक वृद्धि हुई है." 

रिपोर्ट के मुताबिक कई अर्थशास्त्रियों का यह भी मानना है कि मार्च में मुद्रास्फीति की दर और भी ज़्यादा हो सकती है. इस बारे में RBI डेटा 12 अप्रैल को जारी करेगा. एक्सपर्ट्स की मानें तो मुद्रास्फीति की दर 6.5 प्रतिशत तक अनुमान के मुताबिक बढ़ सकती है और यह लगातार तीसरा महीने बढ़त के साथ दर्ज होगी. अगर ऐसा रहा तो आरबीआई की महंगाई दर लिमिट की टॉलरेंस लेयर के 2-6 के ऊपर पहुंच सकती है और यह आने वाली समय के लिए एक चेतावनी है.  

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लगातार बढ़ती जा रही खाद्य कीमतें जो किसी भी देश की मुद्रास्फीति की टोकरी का लगभग आधा हिस्सा है इस बार भी ऊपर रहने की उम्मीद है क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध से संबंधित आपूर्ति की सीरीज में  ग्लोबल अनाज सप्लाई, खाद्य तेलों की आपूर्ति और उर्वरक निर्यात पर भारी असर डाल रही है. रूस -यूक्रने के बीच  युद्ध दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले वनस्पति तेल, पाम तेल की कीमतों में इस साल लगभग 50% की वृद्धि हुई है. लगातार रोज़मर्रा की खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी  की वजह से गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले और आम जनता की थाली की बढ़ती कीमत तेजी से महसूस की जा रही है. जाहिर सी बात है कि कोरोना महामारी और उसके चलते लॉकडाउन के कारण बेरोजगारी में बढ़ोतरी और लोगों की आमद​नी पर नकारात्मक असर डाल चुकी है.  

रिपोर्ट के अनुसार भारत के एक और अर्थशास्त्री समीरन चक्रवर्ती ने इस बात का अनुमान लगाया है कि global commodity price  में वृद्धि की वजह से मार्च मुद्रास्फीति के आंकड़ों के साथ-साथ खाद्य तेलों में भी होगी. चक्रवर्ती ने यह भी कहा है कि "हालांकि राज्यों में हुए चुनावों के बाद पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी की शुरुआत में देरी हुई थी फिर भी खुदरा कीमतों में मार्च के आखिरी 10 दिनों में 6.5 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है." 

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