ITR Filing Updates: टैक्स की बचत करना हर टैक्सपेयर का हक है. पुरानी इनकम टैक्स रिजीम हो या न्यू इनकम टैक्स रिजीम, दोनों में ही आपको कई धाराओं के तहत टैक्स बचाने का मौका दिया गया है. जहां तक टैक्स पेयर टैक्स बचाने के लिए सही तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, वहां तक यह ठीक है, लेकिन कुछ टैक्स पेयर्स इसके लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल भी करते हैं. ऐसे लोग टैक्स रिफंड पाने के लिए या छूट लेने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेते हैं. हालांकि अब AI के जमाने में आयकर विभाग के पास भी ऐसे लोगों की चालाकी पकड़ने के लिए तमाम तरह के हथियार आ गए हैं. आइए आपको वो तरीके बताते हैं, जिनके जरिये आयकर विभाग आपकी तरफ से दी गई किराये की फर्जी रसीद (Fake Rent Receipt) को आसानी से पकड़ सकता है.
फर्जी रसीदों को पकड़ने के लिए AI का हो रहा उपयोग
आयकर विभाग ने दस्तावेजों की पहचान के लिए AI का उपयोग शुरू कर दिया है. इसके लिए आयकर विभाग आपके फॉर्म-16 का मिलान AIS Form और फॉर्म- 26एएस के साथ करता है, क्योंकि पैन कार्ड से जुड़े आपके सभी लेन-देन इन फॉर्मों के तहत दर्ज किए जाते हैं. जब भी टैक्सपेयर किराये की रसीदों के जरिये HRA क्लेम करता है, तो आयकर विभाग उसके दावे का मिलान इन फॉर्मों से करता है. यदि इस दावे में कोई भी अंतर पाया जाता है, तो वह तत्काल पकड़ में आ जाता है. यह काम AI की मदद से ऑटोमेटिकली हो जाता है.
हाउस रेंट अलाउंस के लिए क्या हैं नियम?
आयकर कानून में HRA से जुड़े नियम के मुताबिक, कोई भी HRA का दावा उसी स्थिति में कर सकता है, यदि उसकी कंपनी उसे एचआरए अलाउंस दे रही है. इसके अलावा यदि कोई कर्मचारी सालाना 1 लाख रुपये से ज्यादा रकम किराये के तौर पर पेमेंट कर रहा है तो उसे अपने मकान मालिक का पैन नंबर भी उपलब्ध कराना होगा. आयकर विभाग आपकी तरफ से HRA के तहत क्लेम की गई रकम को आपके मकान मालिक के पैन नंबर के जरिये उसे भेजी गई रकम से मैच करता है. आपको यह भी बता दें कि PAN CARD के तहत किए गए सभी लेनदेन आपके AIS Form में दर्ज होते हैं. यदि इन दोनों के बीच किसी भी तरह का अंतर दिखता है तो आपको आयकर विभाग नोटिस भेज सकता है.
किस स्थिति में नहीं चेक होता HRA का दावा
यदि आपकी कंपनी आपको HRA का भुगतान कर रही है और आपकी तरफ से किया गया दावा 1 लाख रुपये सालाना से कम है. तबआपको अपने मकान मालिक का पैन कार्ड उपलब्ध नहीं कराना होता है. ऐसी स्थिति में आप 1 लाख रुपये तक का HRA क्लेम कर सकते हैं, जिसकी आयकर विभाग कोई जांच नहीं करता है.
क्यों किया जाता है HRA में फ्रॉड?
HRA के नाम पर फ्रॉड करने का सबसे बड़ कारण ये है कि इसके तहत आप अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा बचा सकते हैं. मान लीजिए यदि आप हर महीने 25,000 रुपये मकान का किराया चुकाने का दावा करते हैं तो यह 3 लाख रुपये सालाना बैठता है. ऐसे में आपकी सालाना कमाई में 3 लाख रुपये की रकम टैक्स फ्री हो जाती है. ऐसी स्थिति में बहुत सारे लोग सोचते हैं कि वे किराये की फर्जी रसीदों के जरिये टैक्स बचा सकते हैं, लेकिन अब आयकर विभाग ऐसे फ्रॉड पकड़ रहा है और ऐसे लोगों को नोटिस भेज रहा है.
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