LIC की खराब लिस्टिंग से सदमे में मोदी सरकार, अब नहीं बिकेगी ये सरकारी कंपनी!

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 18, 2022, 07:02 AM IST

IPO के बाद आज LIC Share की लिस्टिंग हुई है लेकिन बड़ी खबर यह है कि शेयर लान निशान में ही ट्रेंड करता रहा जिससे मोदी सरकार को झटका लगा है.

डीएनए हिंदी: केंद्र सरकार की हिस्सेदारी वाली देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी जीवन बीमा निगम (LIC) के आईपीओ (IPO) के प्रति लोगों की काफी रुचि थी लेकिन सरकार को लिस्टिंग के दौरान उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल पाई है. एलआईसी के शेयर्स (LIC Share) नुकसान के साथ खुले और पूरे दिन लाल निशान में ही ट्रेंड करते रहे. वहीं इस पूरे प्रकरण से केंद्र सरकार को बड़ा झटका लगा है जिसका नतीजा यह है कि सरकार अब एक अन्य सरकारी कंपनी में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने की योजना पर ब्रेक लगा सकती है. 

निवेशकों को हुआ बड़ा घाटा

LIC Share की फीकी लिस्टिंग ने मोदी सरकार के कान खड़े कर दिए है. ऐसे में न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक खबर के मुताबिक सरकार भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) में समूची हिस्सेदारी नहीं बेचेगी. रिपोर्ट में सरकारी अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि सरकार BPCL में 20-25 फीसदी तक की हिस्सेदारी बेच सकती है इसके लिए बोलियां आमंत्रित करने पर विचार किया जा रहा है. हालांकि, अभी बातचीत शुरुआती चरण में है.

आपको बता दें कि अब तक सरकार ने अपनी समूची हिस्सेदारी 52.98% बेचकर 8 से 10 अरब डॉलर जुटाने का लक्ष्य रखा था. इसके लिए बोलियां भी आमंत्रित कर दी गई थीं. कोरोना की वजह से विनिवेश की प्रक्रिया धीमी थी लेकिन इसको लेकर निवेशकों को लुभाने के प्रयास कर रही थी. वहीं अब इस फैसले पर पुनर्विचार किया जा सकता है. 

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धीमी होगी निजीकरण की मुहिम

BPCL के लिए तीन रुचि पत्र (EOI) मिले. इनमें से एक पेशकश उद्योगपति अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाले वेदांता समूह की ओर से आई है. वेदांता के अलावा निजी इक्विटी कंपनियां अपोलो ग्लोबल और आई स्कावयर्ड की पूंजीगत इकाई थिंक गैस शामिल हैं. बीपीसीएल की आंशिक बिक्री भी इस वित्तीय वर्ष में पूरी होने की संभावना नहीं हैं क्योंकि इस प्रक्रिया में 12 महीने से अधिक का समय लगेगा. 

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वहीं LIC Share की धीमी लिस्टिंग के चलते मोदी सरकार को एक बड़ा झटका तो लगा ही है. ऐसे में बीपीसीएल की पूर्ण हिस्सेदारी बिक्री पर पीछे हटना सरकार की निजीकरण योजनाओं में धीमी प्रगति का प्रतीक है. आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने साल 2020 में बैंकों,खनन कंपनियों और बीमा कंपनियों सहित अधिकांश सरकारी कंपनियों के निजीकरण की योजना की घोषणा की। हालांकि, यह संभव नहीं हो सका था. 

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