डीएनए हिंदी: वित्त वर्ष 2021-22 में ही लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (LIC) का आईपीओ (IPO) आने वाला है. केंद्रीय बजट के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के बयान के आधार पर यह माना जा रहा है कि मार्च के दूसरे हफ्ते तक यह LIC का आईपीओ लॉन्च हो जाएगा. ऐसे में LIC ने अपने दस्तावेज जमा कराएं हैं. इसमें कंपनी ने अपनी पॉलिसियों और क्लेम सेटलमेंट की जो जानकारी दी है उसके आधार पर यह माना जा रहा है कि कोविड (Covid) महामारी के दौरान हुई मौतों पर बड़ी संख्या में क्लेम्स किए गए हैं. वहीं अब इस मुद्दे पर केंद्र सरकार ने स्पष्ट जवाब दिया है.
कोविड मौतों का क्लेम से कोई लेना-देना नहीं
आंकड़े ज़ारी होने के बाद LIC के क्लेम को सीधे कोविड से हुई मौतों से जोड़कर देखा जाने लगा है. सरकार की ओर से कहा गया है कि एलआईसी की पॉलिसियों के क्लेम सिर्फ कोविड से हुई मौतों के लिए नहीं किए गए हैं बल्कि ये उन सभी बीमाधारकों के हैं जिनकी अन्य वजहों से भी मृत्यु हुई है. आंकड़ों की गलत तरीके से की गई व्याख्या तथ्यों पर आधारित नहीं है.
मीडिया में चल रही खबरों को लेकर केंद्र सरकार द्वारा कहा गया है कि यह खबर लिखने वालों के पक्षपातपूर्ण रवैये को दिखाती है. साथ ही ये भारत में कोविड मौतों के आंकड़ों को दर्ज करने और उनके रोजाना प्रकाशन करने के तरीके की कम समझ को भी दिखाता है.
सभी मौतों के शामिल हैं क्लेम
LIC और उसके क्लेम से जुड़े सवालों के मुद्दों पर केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि LIC द्वारा निपटाए गए दावों में सभी कारणों से होने वाली मौतें शामिल थीं लेकिन मीडिया रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि कोविड से हुई मौतों को कम करके आंका गया था. इस तरह की त्रुटिपूर्ण व्याख्या तथ्यों पर आधारित नहीं होती और लेखक के पूर्वाग्रह को उजागर करती है.
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केंद्र सरकार ने कहा है कि सरकार ने पारदर्शी तरीके से कोविड मौतों को दर्ज करने के लिए विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त वर्गीकरण को अपनाया ताकि पारदर्शिता को सुनिश्चित किया जा सके. यह भी बताया कि इसके तहत राज्यों द्वारा स्वतंत्र रूप से दर्ज किए गए कोविड से मौत के आंकड़ों को केंद्र सरकार द्वारा समग्र रूप से मौत के आंकड़ों की सूची तैयार की गई है.
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