डीएनए हिंदी: सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत की स्थिति बीते सालों में खराब हुई है. भारत के पर्यावरण की हालत पर CSE यानी Centre for state and Environment ने एक रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट में कई मानक शामिल हैं। गरीबी के मानक बता रहे हैं कि भारत में गरीबी बढ़ी है. वही कुछ मुद्दों पर सुधार अवश्य हुआ है लेकिन पिछले 15 वर्षों में कोई खास उन्नति नहीं हो पाई है.
भारत के गांवों में रहने वाले 33% लोग यानी हर तीसरा आदमी बेहद गरीब है जबकि शहरों में 8% लोग गरीब हैं. यहां गरीबी को पैसों के आधार पर नहीं आंका गया है बल्कि उनका खान पान ही नहीं बल्कि स्कूल कितने जा पा रहे हैं. बिजली सप्लाई है या नहीं, शिशु और मां की सेहत, पानी की सुविधा, बैंक अकाउंट है या नहीं. इन सभी आधारों पर गरीबी को आंका गया है. इसे Multi Dimensional Poverty कहा गया है. इस आधार पर भारत की 25% आबादी गरीब है.
राज्यों की बात करें तो बिहार में 52% और झारखंड की 42% आबादी गरीब है. इसके बाद मध्य प्रदेश जहां 36% लोग सुविधाएं ना होने की वजह से गरीब हैं. देश की राजधानी दिल्ली में भी तकरीबन 5% लोग इन सुविधाओं से महरुम होने की वजह से गरीब हैं. हाल ही में जारी हुए भारत के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार भी तस्वीर कुछ ऐसी ही है.
भारत में लैंडलाइन फोन की जगह अब मोबाइल फोन ले चुके हैं. 31 जुलाई 1995 को कांग्रेस सरकार में टेलीकॉम मिनिस्टर सुखराम ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु को पहली मोबाइल फोन कॉल की थी, उस समय 8 रुपए प्रति मिनट की एक कॉल थी. दोनों फोन नोकिया कंपनी के थे. उसके बाद भारत में मोबाइल फोन और फिर स्मार्टफोन का दौर आया. भारत में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वालों की स्पीड जितनी तेज़ी से बढ़ी उतनी ही तेज़ी से लैंडलाइन फोन भी गायब हो गए हैं.
2005 आते-आते भारत में केवल 15 प्रतिशत लोगों के पास लैंडलाइन फोन रह गया था. वहीं 2022 में भारत में केवल 2 प्रतिशत लोग लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल करते हैं. 2005 में 10 में से केवल 2 भारतीयों के पास एक मोबाइल फोन होता था. भारत में 75 करोड़ लोगों के पास आज कम से कम एक स्मार्टफोन है यानी हर 10 में से 6 लोगों के पास एक स्मार्ट फोन है. अगर बेसिक फोन को मिला लें तो भारत में 95% लोगों के पास एक मोबाइल फोन है.
डेलॉइट कंपनी के अनुमान के मुताबिक 2026 तक भारत में 100 करोड़ लोगों के पास स्मार्टफोन होगा लेकिन भारत और इंडिया का फर्क आप मोबाइल फोन यूजर्स के आंकड़ों से ही समझ जाएंगे. 2005 में भारत में 36 प्रतिशत शहरी लोगों के पास मोबाइल फोन था जबकि गांव के 7 प्रतिशत लोगों के पास मोबाइल फोन था.
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आंकड़ों के अनुसार साल 2015 में 96% शहरी लोग मोबाइल फोन यूज़र्स हो गए गांव में भी 87 प्रतिशत लोगों के पास मोबाइल फोन पहुंच गया था. इसी तरह 2021 में शहरों में मोबाइल फोन यूज़ करने वालों की संख्या से ज्यादा बदलाव गांव में आया है. 2021 में शहरों में 96.7 % और गांवों में 91.5% लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं.
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