पिता कमाते थे 10 रुपये, बेटे ने खड़ा किया ₹3,000 करोड़ का साम्राज्य, कौन है ये शख्स?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Dec 17, 2023, 10:29 PM IST

PC Musthafa.

iD फ्रेश फूड के संस्थापक और CEO मुस्तफा पीसी की सफलता की कहानी आपको रुला देगी. उन्होंने जैा संघर्ष किया है, वैसा संघर्ष बेहद कम लोग कर पाते हैं.

डीएनए हिंदी: जिंदगी में वही लोग आगे बढ़ते हैं, जिनमें आगे बढ़ना का जज्बा होता है. ऐसे लोग परिस्थितियों का रोना नहीं रोते, खराब परिस्थितियों का रोना नहीं रोते, मेहनत करके आगे बढ़ जाते हैं. कुछ ऐसी ही जिंदगी iD फ्रेश फूड के चीफ एग्जीक्युटिव ऑफीसर (CEO) पीसी मुस्तफा की है. एक बेहद गरीब परिवार में पले-बढ़े पीसी मुस्तफा 3,000 करोड़ की कंपनी के CEO हैं. इस कंपनी की उन्होंने नींव रखी थी, इसे आगे बढ़ाने का श्रेय भी उन्हें जाता है.

मुस्तफा केरल के वायनाड जिले से हैं. वे निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं. उनके पिता दिहाड़ी मजदूर थे. अदरक के खेतों में उन्हें हर दिन महज 10 रुपये मजदूरी मिलती थी. परिवार इतना गरीब था कि भाई-बहनों को पालने के लिए उन्हें 10 साल की उम्र में ही काम करना पड़ा. वे एक-एक पैसे के लिए तरस रहे थे. उन्होंने लकड़ी तक बेची है. 

इसे भी पढ़ें- बालकनी में टकराई आंखें, डेट पर दीदार, शादी के बाद कपल ने बनाया ₹12,800 का कारोबार

150 रुपये से खरीदी बकरी, कंगाली में की पढ़ाई
पहली बार उनकी सेविंग केवल ₹150 रुपये हुई थी. उन्होंने पैसे जुटाकर परिवार के लिए एक बकरी खरीदी. यह उनका पहला निवेश था. मुस्तफा ने गाय खरीदने के लिए उसने बकरी बेच दी. गाय के दूध से पैसे मिलने लगे तो परिवार को खाने-पीने भर के पैसे मिलने लगे. छोटी-छोटी बचत और लागतार कमाई से उन्होंने किसी तरह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) में एंट्री ली और कंप्युटर साइंस में डिग्री हासिल कर ली.

मोटोरोला की नौकरी और बदल गई जिंदगी
मुस्तफा को मोटोरोला में आईटी की नौकरी मिल गई और फिर वे दुबई में सिटीबैंक चले गए. इसके बाद, वह भारत लौट आए और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, बैंगलोर से एमबीए किया. एमबीए के दौरान मुस्तफा ने अपने चचेरे भाइयों के साथ मिलकर डोसा और इडली बैटर बनाने की इंडस्ट्री बनाई.

इसे भी पढ़ें- अनाथालय में परवरिश, 16 की उम्र में जबरन शादी, अब करोड़ों की नेटवर्थ, कौन हैं ये बिजनेस टाइकून

50,000 रुपये की कंपनी से बनाई 3,000 करोड़ की कंपनी
मुस्तफा भाइयों ने सहयोग किया. साल 2005 में उन्होंने 50,000 रुपये की पूंजी लगाई और अपनी ब्रेकफास्ट फूड कंपनी शुरू कर दी. यह खाने के लिए तैयार पैकेज्ड फूड तैयार करती थी. इन्होंने कंपनी को नाम दिया iD फ्रेश फूड. उन्होंने इडली और डोसा की भी सप्लाई करनी शुरू कर दी. यह उनकी जिंदगी का सबसे सफल फैसला था. 

पहले नहीं खरीदते थे लोग प्रोडक्ट्स, अब हर तरफ बढ़ी मांग
मुस्तफा कहते हैं कि हम हिंदुस्तानी पैक किए गए खाने पर भरोसा नहीं करते हैं. पैक्ड खाने को लोग पसंद नहीं करते हैं. जब हमने बाजार में प्रोडक्ट लॉन्च किया तो हम हैरान थे कि कोई प्रोडक्ट का पैकेज खरीदने को तैयार नहीं था. हम हर दिन 100 पैकेट बाजार में भेजते थे लेकिन उनमें से 90 वापस आ जाते थे.'

कैसे चल पड़ी सोई हुई कंपनी
धीरे-धीरे, आईडी फ्रेश फूड्स की बिक्री बढ़ती चली गई. देखते-देखते ही यह नाश्ते का एक बड़ा ब्रांड बन गया. मुस्तफा कहते हैं कि उनकी कंपनी इसलिए लोकप्रिय हुई क्योंकि उन्होंने अपने फूड प्रोडक्ट्स बनाने के लिए किसी केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया. उन्होंने हाइजीन का ख्याल रखा और अच्छे उत्पाद तैयार कराए. लोगों को उनके बनाए हुए पैक्ड फूड पसंद आने लगे. देखते-देखते कंपनी 3,000 करोड़ रुपयों की कंपनी बन गई.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

PC Musthafa CEO Wage Labourer Bussiness news success story