मोबाइल फोन है नहीं, 6 लाख रुपये की है कार, Ratan Tata जैसा ही है 150,000 लाख करोड़ रुपये के इस भारतीय ग्रुप का मालिक

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Oct 30, 2024, 05:08 PM IST

Who is Ramamurthy Thyagarajan: टाटा ग्रुप के दिवंगत पूर्व चेयरमैन रतन टाटा की सादी जिंदगी से हर कोई वाकिफ है, लेकिन श्रीराम ग्रुप के मालिक रामामूर्ति त्यागराजन भी उनके जैसी ही जिंदगी जीते हैं. 

Who is Ramamurthy Thyagarajan: किसी के पास यदि कुछ लाख रुपये की संपत्ति भी हो तो वो उसका दिखावा करने में पीछे नहीं रहता है, लेकिन कुछ लोग अरबों रुपये का मालिक होने के बावजूद ऐसी सादगी से जीते हैं, जो हैरान कर देती है. ऐसी ही जिंदगी जीने के लिए टाटा ग्रुप (Tata Group) के दिवंगत पूर्व चेयरमैन रतन टाटा (Ratan Tata) की हर कोई तारीफ करता था. लेकिन एक और भारतीय बिजनेसमैन हैं, जो रतन टाटा जैसी ही सादी जिंदगी जीते हैं. हम बात कर रहे हैं रामामूर्ति त्यागराजन (Ramamurthy Thyagarajan) की, जो करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये की नेटवर्थ वाले श्रीराम ग्रुप (Shriram Group) के फाउंडर हैं. आपको ये बात हैरान कर देगी कि इतने बड़े बिजनेस एंपायर का यह मालिक इतनी सादा जिंदगी जीता है कि उसके पास आज तक अपना मोबाइल फोन तक नहीं है. साथ ही करोड़ों रुपये की दर्जनों कार खरीदने की हैसियत के बावजूद उनकी सफर की साथी महज 6 लाख रुपये की कार है.

किसान के बेटे से टॉप बिजनेसमैन तक का सफर
रामामूर्ति का जन्म तमिलनाडु के किसान परिवार में हुआ था. उनके पिता ने उन्हें हमेशा सादगी और समानता की शिक्षा दी. चेन्नई मे गणित की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने कोलकाता में इंडियन स्टेटिस्टिक्स इंस्टीट्यूट (Indian Statistical Institute) से डिग्री ली. रामामूर्ति ने अपनी पहली नौकरी 1961 में न्यू इंडिया एश्योरेंस (New India Assurance) में की थी, जहां वे करीब दशक तक काम करते रहे. इसे दौरान उन्होंने अलग-अलग तरह की कंपनियों में वित्तीय अनुभव हासिल किया.

बैंकों की आनाकानी ने शुरू कराया श्रीराम ग्रुप
रामामूर्ति के श्रीराम ग्रुप की शुरुआत करने की कहानी बड़ी दिलचस्प है. उन्होंने देखा कि बैंक समाज के कमजोर आर्थिक वर्ग से आने वाले लोगों को कर्ज देने में आनाकानी करते हैं. खासतौर पर छोटे ट्रक ड्राइवरों और व्यापारियों को बैंकों से मदद नहीं मिलती है. इस पर रामामूर्ति ने 37 साल की उम्र में अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर श्रीराम चिट्स की स्थापना की. यह कंपनी उन लोगों को कर्ज देती थी, जिन्हें बैंक इनकार कर देते हैं. उनका यह फॉर्मूला ऐसा काम आया कि आज वे 108,000 कर्मचारियों वाले श्रीराम ग्रुप के मालिक हैं.

कर्मचारियों का भी रखते हैं ध्यान
रामामूर्ति ने हमेशा अपनी तरक्की का क्रेडिट अपने कर्मचारियों की मेहनत को दिया है. साल 2006 में उन्होंने तब सभी उद्योगपतियों को चौंका दिया था, जब उन्होंने त्यागराजन एंप्लॉयी वेलफेयर प्रोग्राम (Thyagarajan Employee Welfare Program) की शुरुआत की. इसके तहत उन्होंने अपनी कंपनी के शेयर श्रीराम ऑनरशिप ट्रस्ट (Shriram Ownership Trust) में ट्रांसफर कर दिए, जो कर्मचारियों द्वारा ही चलाई जाती है.  

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