Noida-Ghaziabad में प्रॉपर्टी बूम जबरदस्त तेजी पर है. एक-दो साल पहले जहां 30 से 50 लाख रुपये के बीच रेडी-टू-मूव 2BHK फ्लैट आसानी से मिल जाता था. वहीं, अब 2BHK फ्लैट के औसत दाम 50 लाख रुपये से शुरू हो रहे हैं. दरअसल, हालिया सालों में अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स के अधूरे पड़े रहने और पूरा पैसा चुकाकर भी फ्लैट पर कब्जा नहीं मिल पाने के मामले ज्यादा बढ़े हैं. इसके चलते लोगों के लगातार अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स से दूरी बनाने के कारण रेडी-टू-मूव प्रॉपर्टीज में 'डिमांड-सप्लाई' का अंतर पैदा कर दिया है. इसी कारण अचानक रेडी-टू-मूव प्रोजेक्ट्स के दामों कई गुना बढ़ोतरी हुई है. लेकिन रेडी-टू-मूव हाउसिंग यूनिट्स की बढ़ती मांग और लग्जरी प्रॉपर्टीज की बिक्री में तेजी के बीच अब फिर गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद जिलों में अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स की डिमांड में तेजी आई है. इस नए ट्रेंड का कारण रेडी-टू-मूव के मुकाबले अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स के दामों के किफायती होना माना जा रहा है. साथ ही प्रॉपर्टी एक्सपर्ट्स इसका कारण कम बजट के साथ ही हालिया सालों में अधूरे प्रोजेक्ट्स पर कानूनी कार्रवाई में फ्लैट खरीदारों को मिली जीत से उपजे विश्वास, इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट, फ्लेक्सी पेमेंट प्लान, कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी और प्रोजेक्ट्स की कठोर निगरानी को मान रहे हैं. नोएडा-गाजियाबाद में खासतौर पर पिछले कुछ महीनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कड़ा शिकंजा कसा है, जिसके बाद बिल्डर्स ने अपने बकाये चुकाए हैं और प्रॉपर्टियों रजिस्ट्रेशन दोबारा शुरू हो गए हैं.
कड़े रेगुलेशन के कारण पसंदीदा बन रहे हैं अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स
प्रमोटर्स का खराब फाइनेंशियल मैनेजमेंट और मनी लॉन्ड्रिंग फिलहाल नोएडा-गाजियाबाद में प्रोजेक्ट्स के अधूरा रहने का सबसे बड़ा कारण माना जाता रहा है. कंस्ट्रक्शन नियामक यूपी रेरा (UP Rera) ने इसे ध्यान में रखकर रियल एस्टेट रेगुलेशन पर ध्यान दिया है, जिसमें सभी प्रकार के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स से जुड़े बैंक खातों और कंस्ट्रक्शन प्रोग्रेस मैनेजमेंट के लिए कड़े नियम बनाए गए हैं. ये रेगुलेशन निम्न हैं-
सरकार ने भी उठाए हैं कई खास कदम
केंद्र और राज्य सरकारों ने भी घर खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं. केंद्र और राज्य की सरकारें मिलकर अटके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा कराने वाली पॉलिसीज के निर्माण में जुटे हुए हैं. इनमें निम्न दो पॉलिसी खास रही हैं-
अब ज्यादा मेच्योर हैं बिल्डर, इससे बढ़ा है भरोसा
साल 2010 से 2014 के बीच नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में प्रॉपर्टी बूम का कारण नए रियल एस्टेट डवलपर्स के कारण आया था, जो इसे संभाल नहीं सके और एक प्रोजेक्ट का पैसा दूसरे में लगाने के कारण अधूरे प्रोजेक्ट्स की संख्या लगातार बढ़ती चलगी गई थी. लेकिन अब साल 2023-24 में रियल एस्टेट सेक्टर ज्यादा मेच्योर हो गया है. बिल्डर्स भी मेच्योर हुए हैं, जिसके चलते ज्यादातर प्रमुख प्रमोटर अब सीमित फ्लैट और कम टॉवर्स वाले प्रोजेक्ट लॉन्च कर रहे हैं. इससे समय पर फ्लैट डिलीवरी बढ़ी है और अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स में भी लोगों का भरोसा भी बढ़ा है. बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड वाले प्रमोटरों के पास न्यू लॉन्च प्रोजेक्टस में फ्लैट खरीदारों की कमी नहीं हो रही है, क्योंकि उनकी लागत रेडी-टू-मूव फ्लैट्स से कम पड़ रहा है.
रेंट और ईएमआई की दोहरी मार से बचाने वाले प्लान से बढ़ी मांग
रेडी-टू-मूव फ्लैट्स की मांग इस कारण बढ़ रही थी, क्योंकि इससे घर खरीदार पर रेंट और ईएमआई की दोहरी मार नहीं पड़ती थी. अब ज्यादातर प्रमोटर ऐसे प्लान मार्केट में लॉन्च कर रहे हैं, जिनमें आसान पेमेंट प्लान के जरिये निवेश का मौका दिया जा रहा है. इससे अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स में भी लोगों पर रेंट और ईएमआई की दोहरी मार नहीं पड़ रही है. प्रोजेक्ट साइज छोटा होने, नई तकनीक से कम समय में निर्माण होने तथा पजेशन के बाद ईएमआई शुरू होने से ग्राहकों में अब अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स के प्रति विश्वास बढ़ रहा है.
न्यू टेक्नोलॉजी से कम समय में बढ़िया क्वालिटी का निर्माण
अधिकतर प्रमोटर्स कंस्ट्रक्शन के लिए नई और यूनिक टेक्नोलॉजी अपना रहे हैं. इससे कंस्ट्रक्शन टाइम घटा है और क्वालिटी बढ़ी है. साथ ही सीमेंट और कंस्ट्रक्शन वेस्टेज भी घटी है. इससे NCR में धूल और पॉल्यूशन भी पहले से कम हो रहा है. हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में आ रहीं नई टेक्नोलॉजीज जहां कंस्ट्रक्शन कॉस्ट को कम कर रही हैं, वहीं ये टेंपरेचर कंट्रोल भी करा रही हैं. साथ ही बेहतर ग्रीन रेटिंग भी दे रही है इससे भी अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स को खरीदने के लिए कस्टमर्स की उत्सुकता बढ़ रही है.
एयरपोर्ट और रैपिड मेट्रो जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के डवलपमेंट से भी तेजी
जिला गौतम बुद्ध नगर और गाजियाबाद में बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट बढ़ा है. नोएडा के जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मेट्रो कॉरिडोर, रेलवे नेटवर्क का विस्तार, रैपिड मेट्रो ट्रेन संचालन, राजमार्गों और एक्सप्रेसवे की बढ़ती संख्या के साथ ही डेडीकेटिड नेटवर्क को जोड़ना, समर्पित मेन्यूफेक्चरिंग और बढ़ते इंडस्ट्रियल एरिया से बढ़ते रोजगार के मौकों ने इन जिलों को निवेश का बड़ा सेंटर बना दिया है. यहां देसी ही नहीं मल्टीनेशनल कंपनियां भी निवेश कर रही हैं. इस फैक्टर ने इस एरिया को रोजगार और जीवनयापन के लिए उपयुक्त स्थान बना दिया है.
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