डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे जंग से आसपास के सभी देश चिंतिति हैं. वहीं मेडिकल की पढ़ाई करने गए छात्र भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं जिनकी मदद के लिए भारत सरकार भरपूर कोशिश कर रही है. वहीं हमले के बाद बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड ऑयल फ्यूचर्स ने 7 साल के बाद 100 डॉलर प्रति बैरल के आंकड़े को छू लिया है. साल 2014 के बाद पहली बार तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं हैं. इन सबके बीच व्यापार सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. अब इसका असर चाय बागान पर पड़ रहा है. आइए जानते हैं क्यों चाय बागान मालिक चिंतित है?
चाय बगान मालिकों में चिंता
चाय बागान मालिक और निर्यातक रूस-यूक्रेन संकट के मद्देनजर चिंतित हैं. बता दें कि रूस भारतीय चाय का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है. गुरुवार को यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों और डॉलर के भुगतान में व्यवधान के साथ-साथ रूस को निर्यात प्रभावित होने की आशंका है.
भारतीय चाय संघ की चेयरपर्सन नयनतारा पालचौधरी ने कहा, "भारतीय चाय के लिए रूसी बाजार बेहद जरूरी है क्योंकि ईरान को निर्यात में भुगतान को लेकर समस्या है, जो एक दूसरा महत्वपूर्ण चाय निर्यात स्थान है. भारत का लगभग 18 प्रतिशत चाय निर्यात रूस को होता है."
उन्होंने आगे कहा कि इस जंग की वजह से अमेरिका भी प्रतिबंध लगा सकता है जिसकी वजह से आगामी सत्र में रूस को निर्यात प्रभावित होगा.’’
भारतीय चाय निर्यातक संघ के चेयरमैन अंशुमान कनोरिया ने भी कहा कि चाय उद्योग के अंशधारक इस संकट को लेकर "बेहद चिंतित" हैं.
पालचौधरी ने कहा कि यदि रूस को निर्यात प्रभावित होता है तो घरेलू बाजार में अधिक आपूर्ति की स्थिति उत्पन्न हो सकती है जिसके वजह से कीमतों में गिरावट आ सकती है.
रूस और कजाकिस्तान हैं मुख्य बाजार
सीआईएस (CIS) देशों को होने वाले कुल निर्यात में रूस और कजाकिस्तान मुख्य बाजार हैं.
कनोरिया ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों (International Markets) में तेल की बढ़ती कीमतों के साथ प्लांटर्स और निर्यातकों के लिए परिचालन की लागत बढ़ने वाली है.
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