डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है. इस बीच अंतरराष्ट्रीय बिरादरी रूस से नाराज हो गया है और उसपर प्रतिबंध लगा दिया है. कयास लगाया जा रहा है कि इस प्रतिबंध से भारत के रक्षा सेक्टर पर भी खासा प्रभाव पड़ सकता है.
मालूम हो कि भारत रूस से बड़े पैमाने पर हथियार खरीदता है. ऐसे में उनपर भी प्रतिबंधों का प्रभाव पड़ सकता है. मिली जानकारी के मुताबिक भारत के 86 प्रतिशत हथियार रूस से हैं. साल 2014 से लेकर 2020 के बीच 55 प्रतिशत हथियार भारत ने रूस से खरीदा है. हालांकि जंग के बीच रूस ने भारत को आश्वासन दिया है कि प्रतिबंधों का असर उसपर बिलकुल भी नहीं पड़ेगा. हाल फिलहाल में भारत ने रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा है. साथ ही AK-203 राइफल्स के लिए भी सौदा किया गया है. इन हथियारों की डिलीवरी में समय लगने से भारत के लिए चिंता का सबब बन सकता है. आइए जानते हैं कि यूक्रेन से जंग लड़ने की वजह से रूस पर क्या असर पड़ रहा है?
रूस की अर्थव्यवस्था पर असर
यूक्रेन के साथ युद्ध करने के लिए रूसी अभियान में प्रतिदिन लगभग 15 बिलियन यूरो (1.26 लाख करोड़ रुपये) खर्च किए जा रहे हैं जो कि रूस की अर्थव्यवस्था पर कहीं ना कहीं प्रभाव डाल रहे हैं. वहीं युद्ध की वजह से रूस का मास्को स्टॉक एक्सचेंज बंद चल रहा है जिसकी वजह से कंपनियां बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं.
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ब्याज दर में वृद्धि
रूसी अभियान के तहत हर रोज बड़ी रकम खर्च की जा रही है. इस दौरान रूस के केंद्रीय बैंक ने अपनी प्रमुख ब्याज दर 9.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया है. रूसी करेंसी रूबल (Russian ruble) गिरकर 117 डॉलर प्रति अमेरिकी डॉलर हो गया है. इसमें 41 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.
कितने रक्षा उपकरण नष्ट हुए?
जंग के पहले दिन यानी कि 24 फरवरी से रूसी सैनिकों ने 29 विमान, 29 हेलीकॉप्टर, 191 टैंक, 816 बख्तरबंद लड़ाकू वाहन (Armoured combat vehicles), 74 बंदूकें, 1 BUK एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम, 21 ग्रैड मल्टीपल रॉकेट लांचर, 291 ऑटोमोबाइल इकाइयां, 60 टैंक, 3 ड्रोन (Drone), जहाजों या नावों की 2 इकाइयां, रक्षा उपकरणों की 5 हवाई इक्विपमेंट्स खो दिए हैं.
वहीं रूस के वित्त मंत्रालय ने निर्यातकों को सभी विदेशी व्यापार समझौतों के तहत विदेशी मुद्रा आय का 80 प्रतिशत बेचने के लिए बाध्य किया है.
उधर यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक युद्ध में 5,300 रूसी सैनिक मारे गए हैं.
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