Credit Card Rules: 15 मार्च से क्रेडिट कार्ड बिल कैल्कुलेशन नियम बदलेगा SBI, कहीं लग ना जाए जेब को झटका

कुलदीप पंवार | Updated:Feb 17, 2024, 08:57 AM IST

SBI Credit Card

SBI Credit Card Rules Change: भारतीय स्टेट बैंक ने MAD बिल कैल्कुलेशन मैथड में बदलाव की जानकारी सभी क्रेडिट कार्ड होल्डर्स को ईमेल भेजकर दे दी है.

State Bank Of India Latest News: भारतीय स्टेट बैंक ने अपने क्रेडिट कार्ड कस्टमर्स को एक बड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है. दरअसल सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े भारतीय बैंक ने अपने क्रेडिट कार्ड (SBI Credit Card) के मीनिमम अमाउंट ड्यू बिल कैल्कुलेशन (MAD Bill Calculation) प्रोसेस में बदलाव कर दिया है. ये नया तरीका 15 मार्च से लागू हो जाएगा, जिसकी जानकारी State Bank Of India ने अपने सभी क्रेडिट कार्ड कस्टमर्स को ईमेल के जरिये दे दी है. 

क्या हैं नए बदलाव, जिसका असर 1.8 करोड़ लोगों पर

SBI की तरफ से कस्टमर्स को भेजी गई ईमेल में बिल कैल्कुलेशन मैथड में बदलाव की जानकारी दी गई है. इसमें कहा गया है कि मीनिमम अमाउंट ड्यू (MAD) की परिभाषा को बदला जा रहा है, जो 15 मार्च से प्रभावी हो जाएगी. बता दें कि 'हर भारतीय का बैंकर' कहलाने वाले SBI के पास देश में दूसरे सबसे ज्यादा क्रेडिट कार्ड कस्टमर हैं. बैंक के करीब 1.8 करोड़ क्रेडिट कार्ड कस्टमर हैं, जो नए बदलाव से प्रभावित होने जा रहे हैं.

क्या है मौजूदा MAD Method

SBI अभी तक अपने क्रेडिट कार्ड का बिल बनाते समय मीनिमम अमाउंट के कैल्कुलेशन को जो तरीका अपनाता है, उसमें वह पूरा GST + सभी EMI + 100% फीस/चार्ज + 5% फाइनेंस चार्ज+ रिटेल खर्च व कैश अडवांस की रकम+ ओवरलिमिट अमाउंट (यदि कोई हो), को एकसाथ जोड़ता है. इन सबको जोड़ने पर आने वाली रकम क्रेडिट कार्ड बिल का वो MAD होती है, जो कस्टमर को हर हाल में अपनी Due Date पर चुकानी ही होती है.

बदलाव के बाद MAD Method

MAD कैल्कुलेशन का तरीका बदलने के बाद अब किसी भी क्रेडिट कार्ड बिल का पूरा GST + सभी EMI अमाउंट+ 100% फीस/चार्ज + 5% फाइनेंस चार्ज+ रिटेल खर्च व कैश अडवांस की रकम+ ओवरलिमिट अमाउंट (यदि कोई हो) को जोड़कर चुकाई जाने वाली मीनिमम रकम तय होगी.

देखने में एक जैसा, फिर क्या है अंतर

यदि आप ये देखकर चौंक रहे हैं कि दोनों ही कैल्कुलेशन मैथड बिल्कुल एक जैसे हैं, तो आपको चलिए इनका अंतर भी बता दें. नया बदलाव उस केस में लागू होगा, जहां बिल का 5% हिस्सा फाइनेंस चार्ज से भी कम हो. बैंक ने अपनी मेल में कहा है, 'जहां बिल का 5% हिस्सा (फाइनेंस चार्ज+रिटेल खर्च व कैश अडवांस) फाइनेंस चार्ज से भी कम है, वहीं MAD तय करने का तरीका बदल जाएगा. इस केस में MAD की गणना कुल GST+EMI अमाउंट+100% फाइनेंस चार्ज+ओवरलिमिट अमाउंट को जोड़कर की जाएगी.

क्या होगा इससे कस्टमर्स पर प्रभाव

एसबीआई के नए नियम से कस्टमर्स के कुल बिल अमाउंट पर कोई फर्क नहीं पड़ने जा रहा है, लेकिन अब उन्हें न्यूनतम बिल की रकम पहले से ज्यादा चुकानी होगी. इसके चलते उन्हें अपने मंथली हिसाब-किताब में थोड़ा एडजस्टमेंट करना पड़ सकता है. 

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