डीएनए हिंदी: दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक (World Largest Sugar Producer) एवं दूसरे बड़े निर्यातक देश भारत में चीनी का उत्पादन मौजूदा विपणन वर्ष 2021-22 में 30 मई तक 15 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड 3.524 करोड़ टन हो गया. चीनी क्षेत्र की सहकारी संस्था एनएफसीएसएफएल (NFCSFL) ने मंगलवार को जारी आंकड़ों में बताया कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में अधिक होने से इस विपणन वर्ष में अब तक रिकॉर्ड चीनी उत्पादन (Record Sugar Production) हुआ है. एक साल पहले की समान अवधि में चीनी उत्पादन 3.063 करोड़ टन रहा था. लेकिन इसका फायदा कीमतों में देखने को नहीं मिलेगा. जानकारों की मानें तो प्रोडक्शन बढ़ने से भले ही कीमतों में असर ना देखने को मिले, लेकिन कम होने के आसार बिल्कुल भी नहीं दिखाई दे रहे हैं.
चीनी का रिकॉर्ड प्रोडक्शन
चीनी विपणन वर्ष अक्टूबर से शुरू होकर सितंबर तक चलता है. इसका मतलब है कि अक्टूबर 2021 से 30 मई, 2022 के दौरान देश में कुल 3.524 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हुआ है जो अब तक का रिकॉर्ड है. राष्ट्रीय सहकारी चीनी मिल लिमिटेड महासंघ (एनएफसीएसएफएल) के आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा चीनी सत्र के बाकी बचे हुए समय में चार-पांच लाख टन अतिरिक्त चीनी का उत्पादन होने की संभावना है.
किस राज्य में कितना प्रोडक्शन
देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन 30 मई तक 1.368 करोड़ टन रहा जबकि एक साल पहले समान अवधि में 1.063 करोड़ टन का उत्पादन हुआ था. कर्नाटक में भी चीनी उत्पादन बढ़कर 59.2 करोड़ टन पर पहुंच गया जबकि पिछले साल 30 मई तक 42.5 लाख टन चीनी पैदा हुई थी. हालांकि दूसरे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन पिछले साल की तुलना में कम रहा है. एक साल पहले के 1.101 करोड़ टन की तुलना में इस बार उत्तर प्रदेश में 1.022 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हुआ है.
निर्यात की सीमा तय
देश भर में 50 से अधिक चीनी मिलों में अब भी चीनी की पेराई का काम जारी है. इनमें से ज्यादातर मिलें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में हैं. सरकार ने मौजूदा चीनी विपणन सत्र में एक करोड़ टन चीनी निर्यात की सीमा तय की हुई है. अक्टूबर-नवंबर के त्योहारी मौसम में चीनी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने यह पाबंदी लगाई हुई है.
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कम नहीं होंगे दाम
कमोडिटी एक्सपर्ट और केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार प्रोडक्शन के सरकारी आंकड़ें बेहद शानदार हैं, लेकिन इसका आम लोगों को कोई फायदा नहीं मिलता दिखाई दे रहा है. उन्होंने कहा कि अगर आप सोच रहे हैं कि चीनी के दाम कम हो जाएंगे, ऐसा नहीं. इसका कारण है होटल, रेस्ट्रा की ओर से आने वाली डिमांड ज्यादा है. वहीं ग्लोबल डिमांड में भी कोई कमी नहीं है. अगर रूस—यूक्रेन वॉर का असर ज्यादा देखने को मिलता है तो भारत को एक्सपोर्ट भी बढ़ाना पड़ सकता है. इसलिए पर्याप्त बफर स्टॉक और रिकॉर्ड प्रोडक्शन से चीनी की महंगाई कम होने की उम्मीदें कम ही है.
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