Goldman Sachs On Recession: कंपनी ने जताया अमेरिका में मंदी का खतरा, कहा- 'संकट बहुत गहरा है'

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 16, 2022, 03:44 PM IST

तस्वीर ट्विटर से ली गई है साभार

Goldman Sachs की आर्थिक टीम ने अमेरिका में मंदी की आशंका जाहिर की है. सीनियर चेयरमैन ने भी कंपनियों और उपभोक्ताओं को तैयार रहने का सुझाव दिया है.

डीएनए हिंदी: गोल्डमैन सैच के सीनियर चेयरमैन एलॉयड ब्लैकफिन (Lloyd Blankfein) ने अमेरिका में मंदी के खतरे को लेकर आगाह किया है. उन्होंने कहा कि कंपनियों और उपभोक्ताओं को अमेरिका में मंदी की आहट को लेकर सचेत होने की जरूरत है. ब्लैकफिन ने यह भी कहा कि अमेरिका में मंदी का खतरा है और रिस्क बहुत ज्यादा है. कंपनी की आर्थिक टीम भी इससे सहमत दिखती है.आर्थिक टीम का अनुमान है कि सकल घरेलू उत्पादन इस साल  2.4% रह सकता है. 2023 के तय लक्ष्य को 2.2% से घटाकर 1.6% कर दिया गया है.

मंदी के लिए तैयार होने की दी सलाह 
उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि मंदी को लेकर सचेत रहने की जरूरत सबको है. ब्लैकफिन ने कहा, 'अगर मैं कोई बड़ी कंपनी चला रहा हूं तो मैं इसके लिए तैयार रहूंगा. अगर मैं उपभोक्ता हूं तब भीं मंदी के संकेत देखकर मुझे खुद को तैयार करना होगा.'

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'रिसेशन से बचने के लिए उठाने होंगे जरूरी कदम'
रिसेशन से बचने के लिए उन्होंने कहा कि कंपनियों और सरकारों को बहुत सोच-समझकर काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, 'रिसेशन कोई आसान या मामूली बात नहीं है. इससे बचने के लिए बहुत सतर्कता से रास्ता चुनना होगा. फेडरल रिजर्व के पास कुछ बेहद मजबूत टूल हैं और उन्हें मंदी को रोकने के लिए उसका सोच-समझकर इस्तेमाल करना चाहिए.'

तेल की बढ़ी हुई कीमतों के असर की बात मानी  
तेल की बढ़ती कीमतों का असर अमेरिका के उपभोक्ताओं पर भी पड़ा है. साथ ही, अमेरिकी उपभोक्ताओं में भी इस वक्त खासी बेचैनी है. मई में उपभोक्ताओं की भावना 2021 के बाद से सबसे कम स्तर पर रही है. अमेरिका में उपभोक्ता कीमतें अप्रैल में पिछले साल की तुलना में 8.3% ज्यादा थी लेकिन यह मार्च से कम था. इसके बाद भी पिछले एक दशक में यह सर्वाधिक रहा है.

दुनिया भर के बाजार पर रूस-यूक्रेन का असर
ब्लैकफिन का कॉमेंट उसी दिन टीवी इंटरव्यू में दिखाया गया है जब फर्म के अर्थशास्त्रियों ने अमेरिका की विकास दर इस साल कम रहने का अनुमान जताया है. बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध और तेल की बढ़ती कीमतों का असर पूरी दुनिया के बाजार पर नजर आ रहा है. वैश्विक बाजार कोविड महामारी की वजह से पहले से ही कई तरह की रुकावटों का सामना कर रहे थे.

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