डीएनए हिंदी: स्विफ्ट पेमेंट यह शब्द आजकल लोगों को सुनने में खूब मिल रहा है. आखिर स्विफ्ट है क्या? तो बता दें कि सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन यानी स्विफ्ट. यह एक ऐसी प्रणाली है जिसे विश्व में विभिन्न देशों के बीच आर्थिक लेन-देन की रीढ़ माना जाता है. रूस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिकी समेत पश्चिमी देश इसे एक हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं. आइए जानते हैं यह क्या है और इसपर प्रतिबंध लगने से रूस पर क्या असर पड़ेगा?
1973 में स्विफ्ट की शुरुआत
साल 1973 में स्विफ्ट प्रणाली लागू की गई थी. इसकी खासियत यह है कि यह खुद किसी पेमेंट (Payment) के ट्रांसफर से नही जुड़ता है. यह बैंकों को आपस में एक दूसरे से सिक्योर, तेज और बेहद कम खर्च में संदेशों के आदान प्रदान में मदद करता है.
स्विफ्ट का प्रमुख काम
स्विफ्ट के जरिए बैंक आपस में रुपये के ट्रांसफर का संदेश भेजते हैं, कस्टमर्स को पेमेंट करते हैं और खरीद-फरोख्त करते हैं. विश्व के दो सौ से ज्यादा देशों के 11,000 से ज्यादा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन इसका इस्तेमाल करते हैं. वैश्विक पहुंच के कारण इसे आतंकी फंडिंग से रोकने के लिए अधिकारियों के साथ मिल कर सिक्योर करना पड़ता है. बता दें यह पहली बार नही जब रूस पर स्विफ्ट (Swift) को लेकर प्रतिबंध लगाया गया है. इसके पहले साल 2019 में ईरान के खिलाफ भी प्रतिबंध लगाया गया था.
रूस दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता
नेशनल एसोसिएशन रोसस्विफ्ट के मुताबिक विश्व में अमेरिका के बाद रूस स्विफ्ट का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है. लगभग 300 रूसी वित्तीय संस्थान स्विफ्ट के जरिए लेन-देन करते हैं. यानी रूस के आधे से ज्यादा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट स्विफ्ट के मेंबर हैं.
स्विफ्ट के प्रतिबंध से रूस पर क्या असर पड़ेगा?
स्विफ्ट पर प्रतिबंध लगने की वजह से रूसी बैंक अन्य देशों के फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट के साथ वित्तीय लेन-देन के लिए स्विफ्ट का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. बता दें कि कई यूरोपीय देश रूस के साथ बड़ा लेन-देन करते हैं लेकिन इसपर रोक लगने की वजह से रूस इन देशों को नेचुरल गैस प्रोडक्शन नही कर सकेगा.
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