Who is Rikant Putti: आपने Ease My Trip कंपनी का नाम जरूर सुना होगा, जो टूर एंड ट्रैवल इंडस्ट्री में चर्चित नाम मानी जाती है. क्या आपको पता है कि आज की तारीख में करीब 8,00 करोड़ रुपये की हैसियत रखने वाली इस कंपनी की शुरुआत कैसे हुई थी? चलिए आपको बता दें कि यह कंपनी एक युवा ने महज अपने पिता की उस झल्लाहट को कम करने के लिए शुरू की थी, जो उसके पिता के चेहरे पर महीने में कई बार फ्लाइट से सफर करते समय अतिरिक्त बुकिंग चार्ज देने की मजबूरी के चलते दिखाई देती थी. यह युवक थे रिकांत पिट्टी (Ease My Trip Founder Rikant Pitti), जिनके दिमाग में अपने पिता की इस परेशानी को देखकर एक्स्ट्रा बुकिंग चार्ज खत्म करने का आइडिया आया और उसने अपनी कंपनी शुरू कर दी. इस तरह बिना किसी फंडिंग के महज जेब में मौजूद मामूली सी रकम से शुरू हुई ईज माय ट्रिप.
दिल्ली से स्कूलिंग, हरियाणा से इंजीनियरिंग
दिल्ली निवासी रिकांत पिट्टी ने स्कूल की पढ़ाई विवेकानंद स्कूल में पूरी की, जहां उन्होंने 1995 में दाखिला लिया था. साल 2006 में स्कूलिंग पूरी होने के बाद उन्होंने हरियाणा की कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में BTech करने के लिए एडमिशन लिया. यह डिग्री उन्होंने साल 2010 में हासिल की.
इंजीनियरिंग करते समय आया था दिमाग में आइडिया
रिकांत के पापा बिजनेसमैन थे, जिन्हें हर महीने फ्लाइट्स में बेहद ट्रैवल करना पड़ता था. उनके पिता को हर बार टिकट खरीदने पर बुकिंग एजेंट को 1500 रुपये चार्ज देना पड़ता था. महीने में यह रकम 15-20 हजार रुपये होती थी, जिसे लेकर रिकांत के पिता बेहद खफा रहते थे. ऐसे में रिकांत पिट्टी ने अपने पिता के लिए खुद ऑनलाइन टिकट बुक करना शुरू किया और उनकी जिंदगी बदल गई.
एयरलाइंस ने बनाया एजेंट, शुरू हो गया बिजनेस
रिकांत अपने पिता के अलावा अपने अकाउंट से रिश्तेदारों की भी फ्लाइट बुक करने लगे. एक एयरलाइंस ने उनके अकाउंट से अच्छा बिजनेस देखकर उन्हें ट्रैवल एजेंट बनने का ऑफर दिया और कॉलेज में पढ़ते हुए ही उनका बिजनेस शुरू हो गया. रिकांत ने ड्यूक ट्रैवल्स नाम से कंपनी खोली और दूसरे ट्रैवल एजेंट भी अपने साथ जोड़ने शुरू कर दिए. वे SMS भेजकर लोगों को अपना बिजनेस की जानकारी देते थे. साल 2007 तक रिकांत के साथ 400 ट्रैवल एजेंट जुड़ गए थे, जिन्हें रिकांत बुकिंग कमीशन में से 5% रकम देते थे और 2 फीसदी रिकांत को मिलता था. इसके बाद आया दिमाग में Ease My Trip का ख्याल और रिकांत ने उसकी शुरुआत कर दी.
भाई के साथ मिलकर शुरू की कंपनी
रिकांत ने साल 2008 में अपने भाई के साथ ईज माय ट्रिप कंपनी शुरू की. दोनों भाइयों के पास 15 लाख रुपये की सेल्फ फंडिंग थी और पूर्वी दिल्ली में 1 BHK अपार्टमेंट में ऑफिस. महज 3 साल में रिकांत ने अपने पोर्टल से 11,000 ट्रैवल एजेंट जोड़ दिए थे. उनकी कंपनी ने 364 करोड़ रुपये का बिजनेस जनरेट किया, लेकिन रिकांत को इसका 2% हिस्सा भी नहीं मिला. सारी रकम ट्रैवल एजेंटों के ही हिस्से आई.
ट्रैवल एजेंटों को छोड़ा, सीधे ग्राहकों को पकड़ा
रिकांत ने मुनाफा बढ़ाने के लिए बिजनेस स्ट्रेटजी ही बदल दी. उन्होंने ट्रैवल एजेंटों के बजाय सीधे ग्राहकों से संपर्क करना शुरू कर दिया. इससे ट्रैवल एजेंट उन्हें छोड़ गए और बिजनेस घट गया, लेकिन रिकांत ने स्ट्रेटजी नहीं बदली. इससे धीरे-धीरे ग्राहक उनसे जुड़ने शुरू हुए और मुनाफा बढ़ने लगा. Ease My Trip की तरफ से जीरो कन्वीनियंस फीस और जीरो हिडन चार्ज के ऑफर ने तो कमाल ही कर दिया. महज 1 साल में उनकी कंपनी रोजाना 20,000 से ज्यादा टिकट बेचने लगी थी. साल 2015 में कंपनी की सेल बढ़कर 15000 करोड़ रुपये बन गए.
IPO लाकर कर दिया कमाल
रिकांत साल 2021 में अपनी कंपनी का IPO भी Easy Trip Planner Limited के नाम से ला चुके हैं. आज उनकी कंपनी के पास करीब 1.1 करोड़ रेगुलर ग्राहक हैं और उनका 400 से ज्यादा एयरलाइंस से टाईअप है. उनकी कंपनी के साथ 10 लाख से ज्यादा होटल पार्टनरशिप में हैं और 61,000 ट्रैवल एजेंट भी उनके लिए बुकिंग करते हैं. कुल मिलाकर आज उनकी कंपनी भारत की दूसरी सबसे बड़ी ट्रैवल एजेंसी है.
4 करोड़ की कार में करते हैं सफर
रिकांत आज 4 करोड़ रुपये की विदेशी कार में सफर करते हैं. उनकी नेटवर्थ का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उन्होंने हाल ही में गुरुग्राम जैसी जगह पर 100 करोड़ रुपये की कमर्शियल प्रॉपर्टी खरीदी है.
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